
हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। एक बार फिर हल्द्वानी में सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने को लेकर सरकारी कवायद शुरू की गई है। ऐसे में जांच के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे भी हो रहे हैं। उत्तराखंड से बाहर के लोगों ने पिछले 10- 15 सालों में आसानी से यहां सरकारी जमीन कब्जाई। और बेखौफ होकर अपने जैसों को भी बसाने में देर नहीं की।
दरअसल, इन दिनों जिले में गठित समिति की ओर से रेलवे भूमि का संयुक्त सीमांकन एवं अतिक्रमण सर्वेक्षण किया जा रहा है। कहा गया कि कार्यवाही रेलवे की भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराने और भविष्य की विकास योजनाओं हेतु संरक्षित करने के उद्देश्य से की जा रही है।

प्रशासन द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि पिछले 10 से 15 वर्षों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया गया है, विशेष रूप से ऐसे व्यक्तियों द्वारा जो उत्तराखण्ड राज्य के बाहर से आकर बसे हैं। प्रारंभ में कच्चे निर्माण किए गए थे, जिन्हें बाद में पक्के मकानों में बदल दिया गया।
निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि रेलवे भूमि पर एक मस्जिद, एक मदरसा एवं एक मजार का अवैध निर्माण किया गया है। प्रशासन द्वारा उक्त मदरसे को पूर्व में सील किया जा चुका है, तथा अन्य अतिक्रमणों की भी जांच की जा रही है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि धार्मिक ढांचे खड़े कर सार्वजनिक भूमि पर अनाधिकृत कब्जा किया गया है, जो विधिक रूप से पूर्णतः अवैध है।
इसके अतिरिक्त, अधिकांश अतिक्रमणकर्ताओं द्वारा सादे कागज़ अथवा स्टाम्प पेपर पर बिना वैध अभिलेखों के भूमि खरीदने का दावा किया गया है, जिनका राजस्व अभिलेखों में कोई अस्तित्व नहीं है। ऐसे लेन-देन सार्वजनिक/सरकारी भूमि के संबंध में पूर्णतः अवैध एवं निरस्त योग्य हैं।
रेलवे विभाग द्वारा अतिक्रमणकारियों को विधिसम्मत नोटिस जारी किए जा रहे हैं, जिनमें उन्हें निर्धारित समयावधि में भूमि खाली करने का निर्देश दिया गया है। अनुपालन न होने की स्थिति में रेलवे अधिनियम के तहत विधिक कार्यवाही की जाएगी।
राजस्व एवं रेलवे विभाग द्वारा संयुक्त रूप से अतिक्रमण का विस्तृत विवरण (नाम, पता, संरचना का प्रकार, अतिक्रमण की तिथि आदि) तैयार किया जा रहा है, जिसे जिलाधिकारी, नैनीताल एवं रेलवे प्रशासन को अग्रिम कार्रवाई हेतु प्रस्तुत किया जाएगा।
संयुक्त सर्वेक्षण में एसडीएम राहुल शाह, मनीषा बिष्ट तहसीलदार हल्द्वानी, कुलदीप पांडे तहसीलदार लालकुआं समेत रेलवे, राजस्व, नगर निगम, वन, विद्युत, जल संस्थान तथा खाद्य एवं आपूर्ति विभागों की अधिकारी रहे।
