हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। हद हो गई! हल्द्वानी में सूबे की कानून व्यवस्था के मुखिया की मौजूदगी में फरियादी की भूमिका में आए दिव्यांग लोक कलाकार के साथ हल्द्वानी पुलिस और एलआईयू ने जमकर अभद्रता की। लोक कलाकार चिल्लाता रहा कि मेरा पैर टूटा है मत घसीटो लेकिन पुलिस ने बर्बरता कम नहीं की।
वो तो मौके पर मौजूद पत्रकार जब चिल्लाए कि यह दिव्यांग है मत घसीटो तब जाकर पुलिस को अपने मित्र पुलिस के तमगे के एहसास हुआ। इसके बाद भी घंटों तक दिव्यांग लोक कलाकार दीपक सुयाल को पुलिस ने एक कमरे में कैद कर जमीन पर बैठाए रखा था।
अब आपको लोक कलाकार दीपक सुयाल का गुनाह भी बताते हैं। दरअसल, पिछले महीने भर से दीपक सुयाल अपने साथ हुए अपराध के खिलाफ हल्द्वानी कोतवाली के चक्कर काट रहे हैं।
लोक कलाकार दीपक सुयाल का यूट्यूब चैनल पिछले दिनों किसी शातिर ने उड़ा दिया। जिसके बाद लगातार आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को लेकर दीपक सुयाल एसएसपी से लेकर हल्द्वानी कोतवाली के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन पुलिस के जिम्मेदार उन्हें रोजाना टरका रहे थे।
आज जब डीजीपी अभिनव कुमार के जनसंवाद कार्यक्रम की जानकारी लोकगायक दीपक सुयाल को लगी तो वो भी अपनी फाइलों के साथ उस कमरे में दाखिल होने लगे जहां डीजीपी बैठे थे। और यही दीपक सुयाल का सबसे बड़ा अपराध हो गया।
क्योंकि डीजीपी के जनसंवाद कार्यक्रम में वही लोग मौजूद थे जिन्हें पुलिस ने आमंत्रित किया था। ऐसे में महीने भर से हल्द्वानी पुलिस के सताए दीपक सुयाल जैसे ही डीजीपी से मिलने पहुंचे तो पुलिस ने दरवाजा बंद कर दिया। जिसके बाद दीपक सुयाल थक हारकर कमरे के बाहर ही बैठ गए।
लेकिन पुलिस को वो भी गवारा नहीं हुआ। दरअसल, डीजीपी के सामने पुलिस विरोध का कोई स्वर गूंजने नहीं देना चाहती थी। हल्द्वानी और नैनीताल पुलिस का गुड वर्क ही जन संवाद में गूंजे, यही पुलिस की मंशा रही होगी। कुछ देर बाद पुलिस के जांबाजों ने दिव्यांग लोक कलाकार दीपक सुयाल को घसीटना शुरू कर दिया। भला हो हल्द्वानी के भले पत्रकारों का जिन्होंने पुलिस को आगाह किया कि उसे मत घसीटो वो दिव्यांग है।
जिसके बाद पुलिस और एलआईयू कर्मी ने थोड़ा हाथ हल्का किया। लेकिन डीजीपी के कानों तक हंगामा न पहुंचे, फौरन दीपक सुयाल को घसीटते हुए एक कमरे में कैद कर दिया। खबर लिखे जाने तक लोक कलाकार पुलिस की कैद में था। खबर है कि सर्किट हाउस काठगोदाम में भी डीजीपी से मिलने आए एक और दिव्यांग कलाकार को खाकी ने निराश किया।
वहीं, खनस्यूं थाने में सब इंस्पेक्टर सादिक हुसैन और सिपाही विनोद यादव और कंबोज की दरिंदगी के शिकार ओखलकांडा के युवक मनमोहन शर्मा को न्याय दिलाने की मांग को लेकर हल्लाबोल कर रहे राज्य आंदोलनकारी हरीश पनेरू को भी नैनीताल पुलिस ने दिनभर बुद्ध पार्क में कैद रखा। एसपी क्राइम हरवंश सिंह दिनभर हरीश पनेरू को डीजीपी से मिलाने का आश्वासन देते रहे लेकिन ये भी पुलिस की चाल निकली।
हरीश पनेरू के मुंह से खनस्यूं थाना पुलिस के विरोध के सुर डीजीपी के कानों में न पड़ें, इसके लिए एसपी क्राइम के नेतृत्व में पांच से अधिक एसओ और कांस्टेबल की फौज हरीश पनेरू को घेरे रही।
हालाकि आखिर में हरीश पनेरू पुलिस को चकमा देकर डीजीपी से मिलने को फरार हो गए। जिसके बाद बुद्ध पार्क के बाहर मौजूद पुलिस बल हरीश पनेरू के पीछे पड़ गया। खबर है कि हरीश पनेरू पुलिस को चकमा देकर डीजीपी से मिलने सर्किट हाउस तक पहुंच गए और हल्द्वानी की तत्पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्त में ले लिया।
हालाकि कुछ देर बाद डीजीपी भी अल्मोड़ा की तरफ निकल गए। जैसे ही हरीश पनेरू बुद्ध पार्क से पुलिस को चकमा देकर गायब हुए तो पीछे पहाड़ी आर्मी के हरीश रावत समेत हरीश पनेरू के कुछ साथियों को पुलिस ने घंटों तक काठगोदाम थाने में बैठा दिया।
डीजीपी के जनसंवाद कार्यक्रम में क्या हुआ, यह हम आपको नहीं बता सकते क्योंकि नैनीताल पुलिस ने इस कार्यक्रम में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। जनसंवाद कार्यक्रम के कुछ देर बाद डीजीपी की प्रेसवार्ता हुई जो हंगामेदार रही। पत्रकारों के कई सवाल पुलिस को चुभे।
कुल मिलाकर गुरुवार का दिन जब उत्तराखंड पुलिस के मुखिया अभिनव कुमार हल्द्वानी में थे, तब पुलिस का यह व्यवहार साफ बता गया कि आम आदमी के लिए न्याय पाना आज भी कितना कठिन है। डीजीपी साहब ! आपके दौरे में ये सब होगा, उम्मीद नहीं थी।