हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। एक दौर था जब हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज समेत प्रदेश भर के छात्रसंघ चुनावों में छात्रनेता अपने व्यक्तित्व और विजन वाली राजनीति के लिए चर्चा में बने रहते थे। हंगामा तब भी छात्र नेता करते थे लेकिन तब अराजकता हावी नहीं थी। तब मुद्दों की राजनीति छात्रनेताओं को खास बनाती थी।
लेकिन बीते कुछ सालों में प्रदेशभर के डिग्री कॉलेजों के साथ हल्द्वानी का एमबीपीजी कॉलेज भी छात्र राजनीति के नाम पर गुंडई और अराजकों को गढ़ बन गया है। ऐसा नहीं है कि सभी छात्र नेता अराजक ही हों लेकिन उनका प्रतिशत कम है। ऐसे में पढ़ाई लिखाई भी भगवान भरोसे होनी ही है। जबकि कॉलेज में एक से बढ़कर एक गुणी प्राध्यापक मौजूद हैं।
पिछले कुछ महीनों से डिग्री कॉलेज को राजनीति और अराजकता का अखाड़ा बनाने वाले छात्र नेताओं को गुरुवार को बड़ा झटका लगा।
झटका इसलिए क्योंकि पिछले कुछ समय से कोई अपनी राजनीति चमकाने और मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए कॉलेज की छत पर पेट्रोल से भरी बोतल लेकर चढ़ गया तो किसी ने कॉलेज परिसर में हुड़दंग किया। हल्द्वानी डिग्री कॉलेज में प्राचार्य को अपने दफ्तर की छत भी ऊंची करवानी पड़ गई ताकि अराजक छात्र नेता छत में चढ़कर आत्मदाह की धमकी न दे सकें।
पिछले दिनों एबीवीपी से जुड़े अराजकों ने तो शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर उनके पोस्टर तक फाड़ दिया। जब इतने से मन नहीं भरा तो अखबार के पत्रकार और परिवर्तनकामी छात्र संगठन के दो युवाओं से मारपीट कर अपने संस्कारों और परवरिश का परिचय दे दिया। अफसोस कॉलेज में छात्र संघ चुनाव के नाम पर अराजकता होती रही, लेकिन हर बार अराजक अपने सियासी आकाओं की सरपरस्ती में कानूनी शिकंजे से बच गए।
आज उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के शासनादेश के आधार पर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। ऐसे में इस बार छात्रसंघ चुनाव नहीं होंगे।
जैसे ही यह खबर आई मानो छात्र राजनीति में भूचाल आ गया। आता भी क्यों नहीं, अब तक छात्र नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए लाखों रुपए जो पानी की तरह बहा चुके हैं। बैनर, होर्डिंग से लेकर कलाकारों को अपने पक्ष में भीड़ जुटाने और सुर्खियां बटोरने के लिए बुला चुके हैं। ऐसे में छात्र संघ चुनाव नहीं होंगे कि बात से पैसा बहाने वाले नेता सबसे ज्यादा परेशान हैं।
ऐसे में खबर है कि अब हताश छात्र नेता शुक्रवार से इस फैसले के खिलाफ धरना, प्रदर्शन और पुतला फूंको अभियान शुरू कर सकते हैं।
बताते चलें कि देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह ने समाचारपत्रों में 25 अक्तूबर को राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव कराए जाने की खबर को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने 23 अप्रैल 2024 को शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया था। इसमें छात्रसंघ चुनाव 30 सितंबर 2024 तक कराने का निर्देश दिए थे। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने समय पर चुनाव नहीं कराए और ना ही शासन से दिशा-निर्देश प्राप्त किए, जो लिंगदोह समिति की सिफारिशों का खुला उल्लंघन है।
ऐसे में अगर चुनाव के हुड़दंग के बीच हजारों छात्रों की पढ़ाई में असर पड़ रहा है। ऐसे में छात्र संघ चुनाव अगले सत्र में कराए जाएं।
अब माननीय हाइकोर्ट के इस फैसले के बाद एक बार फिर छात्र राजनीति में हुड़दंग और अराजकता के आसार बन रहे हैं। अब चुनाव होगें ये नहीं इसका आखिरी फैसला सरकार के हाथ में है।