उत्तराखंड में मूल निवास और भू कानून की मांग हुई तेज, इस दिन गैरसैण में होगा हल्लाबोल

खबर शेयर करें -

संजय पाठक, प्रेस 15 न्यूज, हल्द्वानी। इसे विडंबना ही कहेंगें कि जिन लोगों के लिए उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया, आज 24 साल बाद वही लोग हाशिए पर हैं। 42 शहादतों के बाद मजबूर हुई दिल्ली की राजनीति ने उत्तराखंड राज्य बनाया लेकिन सच यह है कि राज्य बनने का बड़ा फायदा उत्तराखंड में राज करने वाली राजनीतिक पार्टियों के सूरमाओं और उनके पाले ठेकेदारों, दलालों को ही मिल सका।

आज भी प्रदेश के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्र एक अदद सड़क, अस्पताल, पेयजल जैसी मूलभूत जरूरतों से जूझ रहे हैं। किसान जंगली जानवरों के आतंक से दुखी हैं और उनकी पुश्तैनी जमीन पर राज्य के दलाल और भूमाफिया गिद्ध की तरह नजरें गड़ाए हैं।

कब उत्तराखंड का मूल निवासी किसान मजबूर हो और कब वो औने पौने दाम पर उसकी जमीन को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान और दूसरे प्रदेशों के धन्ना सेठों के हवाले करें।

विकास के नाम पर बाहरी राज्यों के ठेकेदारों को अच्छी भली सड़कों को तबाह करने का ठेका मिला है। उत्तराखंड के जंगल जलें या कटें राज्य के सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। आखिर फर्क पड़े भी तो कैसे? जब सत्ता का रिमोट कंट्रोल दिल्ली में हो तो राज्य के राजनीतिक सूरमाओं से राज्य हित की उम्मीद करना भी बेईमानी ही है।

अब आप देखिए ना, पिछले साल भर से राज्य के मूल निवासी अपनी पुश्तैनी और बहुमूल्य कृषि भूमि को बचाने के साथ साथ नई पीढ़ी के हक हकूक और रोजगार को बचाने के लिए भू कानून और मूल निवास की मांग कर रहे हैं लेकिन परिणाम यह है कि राज्य के लोगों को कमेटी कमेटी के नाम पर उलझाया जा रहा है। जो निर्णय राज्य सरकार को खुद लेना चाहिए था, उसे राज्य के लोगों के सड़कों पर उतरने के बाद भी नहीं लिया जा रहा।

ऐसे में राज्य के लोगों को जागने की जरूरत है। क्योंकि राष्ट्रीय पार्टियों की प्रयोगशाला बने इस पहाड़ी राज्य को और यहां के मूल निवासियों के वजूद को जिंदा रखने के लिए अब राज्य के भीतर से ही आवाज उठने की जरूरत है। यानी मूल निवास और भू कानून का यह आंदोलन राज्य के हर निवासी को अपने भीतर जगाना होगा।

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले राज्य के जुनूनी और कर्मठ युवाओं और बड़े बुजुर्गों की टोली भले हो लेकिन अब इस आंदोलन में राज्य के हर मूल निवासी के परिवार और परिवार के हर सदस्य को जुड़ना होगा तभी निरंकुश और सत्ता के मद में चूर राजनीति को राज्य हित में फैसले लेने पर मजबूर किया जा सकता है।

गैरसैण में बैठक करते मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति से जुड़े जुनूनी युवा।

इसी क्रम में मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की गैरसैण रामलीला मैदान में एक अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक में सर्व सहमति से निर्णय लिया गया कि खटीमा-मसूरी गोलीकांड की बरसी एक सितंबर को गैरसैण में मूल निवास स्वाभिमान महारैली का आयोजन किया जाएगा।

इस मौके पर मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की गैरसैण कार्यकारिणी का भी गठन किया। इस मौके पर पचास हजार लोगों को गैरसैण में जुटाने का लक्ष्य रखा गया।

समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि गैरसैण में प्रस्तावित मूल निवास स्वाभिमान महारैली ऐतिहासिक रूप से होगी। इस महारैली में स्थायी राजधानी गैरसैंण के मुद्दे को शामिल किया गया है।

स्थाई राजधानी गैरसैण संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ने कहा कि अपनी जमीन बचाने और मूल निवासियों का अस्तित्व बचाने के लिए आंदोलन जरूरी है। गैरसैण हमारी आत्मा है। स्थायी राजधानी बनाने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

समन्वय संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया और सचिव प्रांजल नौडियाल ने कहा कि गैरसैण पहाड़ की आत्मा है। यहां से मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन को पूरे राज्य में धार दी जाएगी। आम जनता को इस आंदोलन से जोड़ने के लिए व्यापक रणनीति बनाई जा रही है।

बैठक में स्थाई राजधानी गैरसैण संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट को मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति का संरक्षक बनाया गया।

वहीं, चौखटिया निवासी पूर्व सैनिक, आंदोलनकारी भुवन कठैत को समन्वय संघर्ष समिति कुमाऊं का सह संयोजक नियुक्त किया गया।

इसके साथ ही आन्दोलनकारी विपिन नेगी को संघर्ष समिति गढ़वाल मंडल का सह संयोजक बनाया गया। गैरसैंण के युवा आंदोलनकारी देवेंद्र बिष्ट बल्ली को समिति का कोर मेम्बर नामित किया गया।

इस मौके पर समन्वय संघर्ष समिति गैरसैण की कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमें जसवंत सिंह बिष्ट को संयोजक,पंकज धीमान सह संयोजक, पंकज रावत सचिव, कपिल सहसचिव, दीपक बिष्ट सह सचिव, लक्ष्मण खत्री, भरत सिंह, वीएस बुटोला, मनीष नेगी को सदस्य, पूरन सिंह संरक्षक, मनवर सिंह पवार संरक्षक, सुरेंद्र सिंह पंवार संरक्षक, जगदीश सिंह नेगी संरक्षक, माथुर देव आर्य को संरक्षक नामित किया गया।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
1
+1
0

संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

सम्बंधित खबरें