देहरादून: वन निगम कर्मचारियों की हिम्मत बढ़ाने धरनास्थल पहुंची मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति

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देहरादून, प्रेस 15 न्यूज। कोई अपना ही अपनों के दर्द को समझ सकता है। इस बात को उत्तराखंड में भू कानून और मूल निवास की मांग को बुलंद कर रही मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने समय समय पर साबित किया है।

वन विकास निगम देहरादून में अपने हक हकूकों की खातिर धरना दे रहे कर्मचारियों को आज मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने समर्थन दिया।

आप समझ सकते हैं जिन्हें राज्य की सरकार और नौकरशाही ने धरने पर बैठने को मजबूर कर दिया हो, उनकी मानसिक स्थिति इस समय क्या होगी।

ऐसे में मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के जांबाजों ने निराश मन में ऊर्जा का संचार किया और भरोसा भी दिलाया कि कर्मचारियों की आवाज को कमजोर नहीं पड़ने देंगे।

समन्वय संघर्ष समिति ने कर्मचारियों को जल्द से जल्द वेतन जारी करने की मांग की। साथ ही कर्मचारियों की सेवाओं के रिन्यूवल होने में हो रही देरी पर नाराजगी जताई और इसे गंभीर लापरवाही बताया। वहीं समिति ने कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर उच्चाधिकारियों से भी वार्ता की।

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि कर्मचारियों का उत्पीड़न किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आउटसोर्स के तहत काम कर रहे कर्मचारियों के सामने गंभीर आर्थिक संकट है।

उन्होंने कहा कि कई ऐसे कर्मचारी भी हैं, जो रात के समय जोमैटो, स्वीगी या अन्य कंपनियों में भी काम करते हैं। तब जाकर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण कर पा रहे हैं। सरकार को इनकी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।

मोहित डिमरी ने कहा कि किसी भी तरह की नौकरी में पहली प्राथमिकता मूल निवासियों को ही मिलनी चाहिए। अगर कोई गैर मूल निवासी फर्जी डॉक्युमेंट्स के आधार पर नौकरी कर रहा है तो इसकी सूचना हमें उपलब्ध कराए।

संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि आंदोलनरत 800 कर्मचारी पिछले कई सालों से लगातार वन विकास निगम में कार्यरत हैं, इन्हें न तो वेतन मिल पा रहा है बल्कि इनका भविष्य भी अधर में लटका हुआ है। ऐसे में कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। निगम द्वारा कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

संघर्ष समिति के गढ़वाल सह संयोजक विपिन नेगी ने कहा कि आउटसोर्सिंग एजेन्सी कर्मचारियों का आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न करती है। कर्मचारियों को आउटसोर्स के बजाय विभागीय नियुक्ति मिलनी चाहिए।

इस मौके पर आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष संदीप रावत और प्रवीन थपलियाल ने मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए भविष्य में भी इसी तरह के समर्थन की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के हित में संघर्ष जारी रहेगा।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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