कमिश्नर साहब! हल्द्वानी के लोगों को “बांसुरी” से मुक्ति जिला पूर्ति अधिकारी से नहीं असल गुनहगार से दिलाइए 

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। चाहे पब्लिक में हड़का दो या फिर प्राइवेट में समझा दो, लेकिन हम नहीं सुधरेंगे भाई, हम नहीं सुधरेंगे…. ये बात किसी और के लिए नहीं बल्कि हल्द्वानी समेत कुमाऊं भर में घरेलू और व्यावसायिक सिलिंडर सप्लाई करने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम के अधीन संचालित गैस एजेंसियों के कर्ताधर्ताओं के लिए है।

आज कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत ने जिला पूर्ति अधिकारी को हल्द्वानी और जिले में अवैध गैस रिफिलिंग रोकने के निर्देश दिए हैं।

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ऐसे में आयुक्त साहब हम यह खबर लिखने को मजबूर हुए हैं कि अगर आप सच में नैनीताल जिले के लोगों को अवैध गैस रिफिलिंग से छुटकारा दिलाना चाहते हैं तो असल गुनहगार को पकड़िए। उस सिस्टम को सुधारिए जो ठेकेदारों को गैस चोर और केएमवीएन के जिम्मेदारों को मौन बना रहा है।

नतीजा साल दर साल केएमवीएन के अधीन गैस एजेंसियों से जुड़े उपभोक्ताओं की कमी हो रही है। ज्यादा दूर नहीं आप हल्द्वानी गैस एजेंसी का ही रिकॉर्ड खंगाल लीजिए।

आप पाएंगे कैसे साल दर साल उपभोक्ता यहां से दूर होकर भारत, एचपी और निजी एजेंसियों के पास चले गए। इसका नुकसान भी केएमवीएन ने झेला लेकिन कभी सिस्टम को सुधारने की नहीं सोचा गया।

अब केएमवीएन किसी का व्यक्तिगत संस्थान तो है नहीं इसलिए कितने ही जीएम और एमडी आए लेकिन किसी ने भी इंडेन की घटतौली वाली व्यवस्था को सुधारने की जहमत नहीं उठाई। आखिर केएमवीएन की कमाई यानी राजस्व प्राप्ति के दूसरे जरिए भी तो हैं ही।

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आयुक्त साहब, आपने पहले भी हल्द्वानी समेत जिले भर में अवैध गैस रिफिलिंग के कई मामलों को पकड़ा है, जिसके बाद आरोपी सलाखों के पीछे भी गए। जाहिर तौर पर इसका फायदा आम जनता को भी मिला।

लेकिन कुछ दिन बाद फिर केएमवीएन और पूर्ति विभाग के जिम्मेदार गहरी नींद में सो गए। और ठेकेदार चोर बन गया।

आयुक्त साहब,  केएमवीएन और पूर्ति विभाग के अधिकारियों से वो असल कारण ढूंढने को कहिए जिसने सालों से इंडेन सिलेंडरों के माथे पर घटतौली का लेबल चिपकाया है। केएमवीएन के अधिकारियों से पूछिए कि आखिर ठेकेदार और उसके आदमी गैस चोरी क्यों करते हैं?

यह भी पूछिएगा कि ठेकेदार चाहे जो हो वो क्यों अपने आदमियों को एक सिलिंडर से दो सिलिंडर बनाने की छूट क्यों देता है? यकीन मानिए अगर केएमवीएन के जिम्मेदारों ने इस सवालों का सही सही जवाब दे दिया तो आप समझ जाएंगे कि आखिर हल्द्वानी समेत जिले भर में उपभोक्ता के घर कम वजन का सिलिंडर क्यों पहुंचता है।

आयुक्त साहब क्या कभी केएमवीएन के जिम्मेदारों ने आपको बताया कि हल्द्वानी में बीते कई महीनों से विधिवत ठेका नहीं दिया गया है। ठेका शुरू होने से पहले ही दो ठेकेदारों ने सरेंडर कर दिया। यानी केएमवीएन को हल्द्वानी शहर और ग्रामीण इलाकों में सिलिंडर बांटने के लिए ठेकेदार तक नहीं मिल रहे हैं। आप कहेंगे आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। तो यह बात भी हम आपको बताए देते हैं।

दरअसल, हल्द्वानी के शीशमहल गोदाम से उपभोक्ता के घर तक सिलिंडर पहुंचाने के लिए ठेकेदार को बीते सालों में कभी 12 कभी 16 रुपए मिले। बढ़ती महंगाई और कर्मचारियों की तनख्वाह के साथ साथ ठेकेदार को अपना मुनाफा भी कमाना होता है।

ऐसे में बीते सालों में ठेकेदार जो भी रहा हो उसने गैस चोरी को अपना अधिकार समझ लिया। केएमवीएन भी कभी कार्रवाई नहीं कर सका क्योंकि वो जानता है उसी ने ठेकेदार को यह मार्ग चुनने को मजबूर किया है।

यही वजह है जब सैयां भए कोतवाल तो डर काहे का, जिस ठेकेदार से जितना बन पड़ा उसने इंडेन के सिलेंडरों से उतनी गैस चोरी की। जो कभी साल में एक दो गाड़ी पकड़ी भी गई तो उसका नुकसान फिर सिलेंडरों से ही पूरा कर लिया। कुल मिलाकर नुकसान तो आम पब्लिक का ही हुआ।

बीते कुछ महीनों में हल्द्वानी में उपभोक्ताओं ने यह भी देखा कि कैसे केएमवीएन ने ठेकेदार के न होने पर पुराने ठेकेदार की गाड़ियों में ही उसके आदमियों के साथ अपने एक कर्मचारी को बैठाकर घर घर सिलिंडर पहुंचाने का गजब का काम किया।

अब इस तैनाती से कितना फायदा इंडेन के उपभोक्ताओं को हुआ ये तो सिवाय छोटा हाथी की आगे की सीट पर विराजमान केएमवीएन का कर्मचारी ही बता सकता है। बाकी ड्राइवर और उसका हेल्पर तो खेल में माहिर ही हैं उनसे क्या पूछें।

वर्तमान में किसी तरह ठेकेदार का मान मनौव्वल करके उसे सिलिंडर डिलीवरी के 30 रुपए चुकाए जा रहे हैं। ताकि वो उपभोक्ता के घर तक किसी तरह सिलिंडर पहुंचा दे। लेकिन आदत है आखिर इतनी जल्दी कैसे बदलेगी। बीते सालों में इंडेन गैस डिलीवरी से जुड़े ड्राइवर हेल्पर इतने चक्कू हो गए हैं कि अब उनसे बिना गैस सिलेंडर को लिटाए और बांसुरी निकाले बगैर काम ही नहीं होता।

आयुक्त साहब, बांसुरी से तो आप परिचित होंगे ही। यह बांसुरी (रिफिलर) कानों में मधुर संगीत नहीं बल्कि महंगाई के दौर में कम वजन के इंडेन सिलिंडर के जरिए रसोई में आम आदमी की चीखें निकालती है।पाइपनुमा इस उपकरण के माध्यम से ठेकदार के आदमी चलती गाड़ी और अपने ठिकानों में एक भरे सिलेंडर से खाली सिलिंडर रिफिल कर देते हैं।

जिला पूर्ति अधिकारी आपके आदेश की तामील करने के लिए एक दो छापे मारकर अपना रिकॉर्ड मेंटेन कर लेंगे लेकिन हल्द्वानी और जिले भर में खासकर गैस रिफिलिंग से जुड़े तंत्र का नेटवर्क खत्म नहीं होगा। उसकी वजह भी आपको बताएंगे।

आप बीते 20 साल या उससे भी पहले के अवैध गैस रिफिलिंग के जितने भी मामले देख लीजिए उनमें इंडेन के सिलिंडर और गाड़ियां ही पकड़ी गई हैं। ऐसा नहीं है कि भारत और एचपी के सिलिंडर वितरण से जुड़े लोग पाक साफ होंगे लेकिन बीते 30 सालों में साल दर साल जैसी गंध केएमवीएन के अधीन बंटने वाले इंडेन सिलेंडरों के जिम्मेदारों ने फैलाई है, वैसी किसी और ने नहीं फैलाई।

आयुक्त साहब, जिस दौर में आप खुद कभी केएमवीएन के एमडी हुआ करते थे, उस दौरान आपने खुद इस बात को महसूस किया होगा। कई शिकायतें भी आपके पास सीधे तौर पर और सीएम पोर्टल के माध्यम से उपभोक्ताओं की आई होंगी। हर बार सिस्टम को सुधारने की बात हुई लेकिन नतीजा हर बार ढाक के तीन पात जैसा रहा।

यानी चाहे जो हो जाए, उपभोक्ता लुटें इनकी बला से लेकिन इंडेन सिलेंडर की वितरण प्रणाली से जुड़े केएमवीएन के जिम्मेदारों की सेहत में कोई फर्क नहीं पड़ा। आज भी हल्द्वानी में काठगोदाम और हल्द्वानी गैस एजेंसियों से जुड़े हजारों उपभोक्ता हैं लेकिन वो नसीब वाले ही होते होंगे जिनके घर पूरे वजन यानी 14.200 ग्राम का सिलिंडर पहुंचता होगा।

आप कहेंगे भला हम अवैध गैस रिफिलिंग का सारा ठीकरा केएमवीएन के सिर ही क्यों फोड़ रहे हैं तो ये भी जान लीजिए।

दरअसल, नैनीताल जिले में इंडेन गैस सिलेंडर वितरण का कार्य प्रमुख रूप से केएमवीएन के पास ही है। हालाकि हल्द्वानी की ही बात करें तो कुछ साल से दो निजी एजेंसियां भी इंडेन का सिलिंडर बांटने लगी हैं।

केएमवीएन के माध्यम से प्राइवेट ठेकेदार को उपभोक्ता के घर घर तक इंडेन सिलेंडर बांटने का काम यानि ठेका मिलता है। यानी हल्द्वानी शहर और ग्रामीण में ठेकेदार अपनी गाड़ियों और आदमियों से इंडेन सिलिंडर की सप्लाई करता है। और इसी गोदाम और उपभोक्ता के घर के बीच के फासले में चलती गाड़ी और गुप्त ठिकानों में एक सिलिंडर से दो सिलिंडर बनाए जाते हैं।

आयुक्त साहब, इस खेल को हल्द्वानी का बच्चा बच्चा जानता है और केएमवीएन के दफ्तर में तैनात हर छोटा बड़ा कर्मचारी और अधिकारी भी। लेकिन हर कोई बस ड्यूटी बजा रहा है और ड्यूटी के साल पूरे कर रिटायर होने के इंतजार में है। उपभोक्ता लुटते रहें उनकी बला से… मजे की बात यह है कि अब उपभोक्ताओं को कम वजन का सिलिंडर लेने की आदत हो गई है।

बहुत कम ऐसे जागरूक उपभोक्ता समाज में बचे हैं जो अपने अधिकारों और व्यवस्था को सुधारने के लिए आगे आते हैं। बस सबको सिस्टम को गरियाना है। फेसबुक और व्हाट्सएप पर सिस्टम को कोसने से बेहतर होता कि लोग इंडेन के भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ हल्लाबोल करते। यही वजह है कि सालों से हल्द्वानी में केएमवीएन के अधीन वाली इंडेन गैस घटतौली का शिकार है।

आयुक्त साहब, हल्द्वानी के लोगों ने यह भी देखा है कि कैसे एक दौर में इंडेन के मोटाहल्दू प्लांट के बाहर खड़े ट्रकों में ही गैस चोरी शुरू हो जाती थी। इतना ही नहीं प्लांट के भीतर से सिलिंडर में लगने वाली सील का बंडल भी गैस माफिया लाने में सफल हो जाते थे। लेकिन तब भी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के जिम्मेदार खामोशी से सारा खेल देखते रहे।

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के जिम्मेदार अपने प्लांट से सिलिंडर रिफिल करने तक ही अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं भले उनका सिलिंडर आधा अधूरा यानी घटतौली का शिकार होकर ही उपभोक्ता की रसोई तक पहुंचे। जबकि इंडियन ऑयल में मोटी तनख्वाह लेने वाले मार्केटिंग और छापामार अधिकारियों की लंबी फौज होगी। लेकिन हर कोई बेफिक्र है।

आयुक्त साहब , आपसे खबर के माध्यम से यही कहना चाहेंगे कि आपसे हल्द्वानी के आम लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। लोगों को लगता है कि आप उनकी इस परेशानी का सकारात्मक हल जरूर निकालेंगे।

अगर आप हल्द्वानी में इंडेन के हजारों उपभोक्ताओं के घर तक पूरे वजन का सिलिंडर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं तो केएमवीएन के अधिकारियों और ठेकेदार के साथ एक बैठक कीजिए। ठेकेदार से पूछिए आखिर उसके आदमी गैस चोरी क्यों करते हैं, वो आपको ईमानदारी से सारा खेल बता देगा।

आयुक्त साहब, आप सिस्टम को ऐसा बना दीजिए कि कोई चाहकर भी चलती गाड़ी, गोदाम और हल्द्वानी के गली मोहल्लों में गैस चोरी न कर सके। बाकी पूर्ति विभाग के अफसरों के हवाले अवैध गैस रिफलिंग के रोकथाम की जिम्मेदारी छोड़ेंगे तो तय मानिए समस्या हल नहीं होने वाली। सकारात्मक बदलाव का यह काम आप ही कर सकते हैं आयुक्त साहब…

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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