
नैनीताल, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में सूखाताल झील सौंदर्यीकरण मामले में स्वतः संज्ञान जनहित याचिका में पूर्व के आदेश पर कुमाऊं आयुक्त और जिलास्तरीय विकास प्राधिकरण के सचिव विजयनाथ शुक्ल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए।
सरकार ने अपनी प्रगति रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि सूखाताल झील को सुरक्षा दीवार से बन्द किया गया है। साथ ही पर्यटकों की सुविधा के लिए लिफ्ट लगाया गया है।
न्यायालय में सूखाताल झील के फ़ोटो भी प्रस्तुत किए गए, जिसपर न्यायालय ने झील की साफ सफाई के लिए दिशा निर्देश दिए हैं।
अधिवक्ता डा.कार्तिकेय हरिगुप्त ने बताया कि सुनवाई के दौरान कुमाऊं आयुक्त ने कहा कि वो व्यक्तिगत रुप से सूखाताल झील का दोबारा निरीक्षण करेंगे। पहले भी उन्होंने निर्माण कार्यो की जाँच की थी।
मुख्य न्यायाधीश जे नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सूखाताल झील के सुधार के लिए 8 दिसंबर की अगली सुनवाई तक सुझाव देने को कहा है।
मामले के अनुसार उच्च न्यायालय ने सूखाताल से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिये थे, लेकिन जिला विकास प्राधिकरण ने अतिक्रमण हटाने के बजाए 28 करोड़ की लागत से झील का सौंदर्यीकरण का काम प्रारंभ कर दिया।
इसके बाद न्यायालय ने एक पत्र का स्वतः संज्ञान लेते हुए उसे पी.आई.एल.के रूप में लिया। पूर्व में न्यायालय ने वहां के निर्माण कार्यो पर रोक लगा दी थी, लेकिन जुलाई में झील विकास प्राधिकरण के अनुरोध पर न्यायालय ने लगाई रोक को हटाकर तीन माह में सौन्दर्यकरण के कार्य पूरे करके रिपोर्ट पेश करने को कहा था, जिसे आज न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
(नैनीताल से वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट ✍️)









