मुख्यमंत्री जी ! हल्द्वानी में खाद्य संरक्षा विभाग की नही है जरूरत, यहां रामराज्य है, कोई मिलावट नहीं करता

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध आस्था के केंद्र तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलने में लड्डुओं में मिलावट का मामला आजकल हर किसी की जुबान पर है। खासकर श्रद्धालु इन लड्डुओं में घी की जगह जानवरों की चर्बी की खबर सुनकर व्यथित हैं।

जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर लड्डू का सैंपल लेकर जांच के निर्देश दिए हैं साथ ही बाजार में बिकने वाले घी की जांच के लिए भी कहा गया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी राज्य में मिलावटखोरों के खिलाफ एक्शन लेने के निर्देश विभाग को दिए।

जिसके बाद अक्सर होली, दीपावली जैसे बड़े त्योहारों में जागने वाला खाद्य संरक्षा एवं औषधि नियंत्रक विभाग और उसके जिम्मेदार अधिकारी भी नींद से जागे।

जो काम खाद्य संरक्षा एवं औषधि नियंत्रक को रुटीन में करना चाहिए वो काम तब किए जा रहे हैं, जब आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद के लड्डुओं में घी की जगह जानवरों की चर्बी की खबर सामने आई।

बात अगर नैनीताल जिले की करें तो यहां खाद्य संरक्षा एवं औषधि नियंत्रक मानो केवल और केवल होली, दिवाली में मिठाइयों के सैंपल भरने के लिए ही बना है। साल में बीच बीच में कभी अधिकारी किसी राशन, मॉल या मेडिकल शॉप में खाद्य पदार्थों और दवाइयों की जांच को निकल जाएं तो वो जनता का नसीब। और इस दौरान गड़बड़ी मिलने पर छोटा मोटा चालान काट दें, तो ये दुकानदार का नसीब…

आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि हल्द्वानी में मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच के लिए विभाग के पास कोई लैब तक नहीं है। दुकानों से लिए जाने वाले सैंपल कभी रुद्रपुर तो कभी दिल्ली लैब भेजे जाते हैं। बड़ी बात यह है कि भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट कब तक आएगी और कब तक दोषियों पर कार्रवाई होगी, ये बताने की जहमत भी विभाग के जिम्मेदार नहीं उठाते।

यानी कहें तो कुल मिलाकर गजब की अंधेरगर्दी लंबे समय से नैनीताल जिले के खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन में चल रही है लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। बाकी प्रदेश का हाल भी इससे जुदा नहीं है।

केवल और केवल छापा मारकर सनसनी फैलाने और डिजिटल मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में सुर्खियां बटोरने तक खाद्य संरक्षा विभाग की कार्रवाई सीमित रहती है।

छापा मारो और फिर अगला छापा मारो , कभी भी मिलावटखोर को बेनकाब मत करो, बस यही विभाग की कार्यशैली का हिस्सा बन गया है।

बाकी मिलावट करने वाले दोषी को आम जनता के सामने बेनकाब करने और भारी भरकम जुर्माना लगाने से उनका कोई वास्ता नहीं। आखिर मिलावट भी तो ऐसी है कि एक झटके में जान थोड़े जाएगी।

और जब तक जान जाएगी तब तक जिम्मेदार अधिकारी रिटायर्ड हो जाएंगे। ऐसे में कार्रवाई के नाम से तो खाद्य संरक्षा एवं औषधि नियंत्रक विभाग के जिम्मेदारों को कोई न डराए।

बात अगर हल्द्वानी की ही करें तो यहां पाएंगे कि लंबे समय से दूध, पनीर और मिठाइयों के साथ साथ मसालों में मिलावट की खबरें आम हैं।

लेकिन आज दिन तक खाद्य संरक्षा विभाग के जिम्मेदार हल्द्वानी के लोगों के सामने उन मिलावटखोरों को उजागर नहीं कर सके जो लंबे समय से लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

जनता यही सवाल सोचते रह जाती है कि हर साल होली, दिवाली से पहले खाद्य संरक्षा विभाग के अधिकारी हल्द्वानी में कुछ मिठाई की दुकानों और स्टोर्स से सैंपल भरते हैं लेकिन आज दिन तक एक भी मिलावटखोर का नाम सामने नहीं किया।

यानी हल्द्वानी में कोई भी व्यापारी मिलावट नहीं करता। यहां खाद्य संरक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राम राज्य है।

अभी पिछले दिनों ही किच्छा पुलिस ने नकली मिठाई बनाने वाले गिरोह को पकड़ा था। खुलासा हुआ था कि हल्द्वानी के रोडवेज बस अड्डे के पास और बरेली रोड की एक जानी मानी मिठाई की दुकान में लंबे समय से इन्हीं नकली मिठाइयों को खपाया जा रहा था।

उम्मीद थी कि लेकिन खाद्य संरक्षा विभाग के अधिकारी हल्द्वानी की इन दोनों दुकानों में तुरंत छापा मारकर सील करते लेकिन ऐसा नहीं हुआ। और आज भी दोनों दुकानों में बेखौफ मिठाइयां बिक रही हैं।

ये दोनों ही क्यों हल्द्वानी की 20 से ज्यादा मिठाई की छोटी बड़ी दुकानों में भी बिना मिलावट की मिठाइयां बिक रही होंगी, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। यानी मिठाई खाइए अपने रिस्क पर क्योंकि खाद्य संरक्षा विभाग के अधिकारी तो किसी हादसे या त्योहारी सीजन में ही अपने होने का एहसास कराएंगे।

या कहें आम जनता मिठाई के नाम पर जहर खाने को मजबूर है लेकिन खाद्य संरक्षा विभाग के जिम्मेदारों की सेहत में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें तो बस किसी तरह नौकरी करनी है। जब कोई तिरुपति बालाजी जैसा हादसा होगा तो जाग ही जाएंगे। और ज्यादा ही सवाल पूछे जाएंगे तो स्टाफ की कमी वाला दमदार बचावकारी बयान तो है ही।

बात अगर मिलावट की करें तो ये केवल मिठाई तक सीमित नहीं है। फल सब्जी से लेकर दूध, पनीर, मसाले, बच्चों के टॉफी, बिस्किट भी इस लिस्ट में शामिल हैं। आपके घर पर इस्तेमाल होने वाला हर खाने पीने का सामान मिलावटखोरी का दंश झेल रहा है।

लेकिन खाद्य संरक्षा एवं औषधि नियंत्रक विभाग के जिम्मेदार हमेशा इस तरह निश्चित होकर ड्यूटी करते हैं मानो हल्द्वानी और नैनीताल जिले में सब ठीकठाक हो।

सोचिए जब हल्द्वानी और नैनीताल में मिलावटखोरी का ये हाल है तो कुमाऊं के पर्वतीय जिलों का क्या हाल होगा? जब मिलावटखोर हल्द्वानी, नैनीताल में मिलावट का जहर खपा सकते हैं तो पहाड़ के बाजार उनके लिए कौन सी मुश्किल हैं।

यही वजह है कि आज आम जनता में खाद्य संरक्षा विभाग एवं औषधि प्रशासन और उससे जुड़े अधिकारियों के प्रति अच्छी राय नहीं है। आम राय है कि भ्रष्ट्राचार के दीपक तले हर गुनाह माफ है। अब इससे ज्यादा क्या बोलें समझदार को इशारा काफी…

अब सरकारी खबर भी जान लीजिए। मुख्यमंत्री धामी के निर्देशों के बाद बीते रोज खाद्य संरक्षा एवं औषधि नियंत्रक विभाग ने प्रदेशभर में देशी घी और मक्खन में मिलावट पर अंकुश लगाने के लिए व्यापक अभियान शुरू कर दिया है। राज्य के सभी जनपदों में शुरू हुए इस अभियान में देशी घी और मक्खन के साथ ही मिठाई की दुकानों से सैंपल लिए गए।

स्वास्थ्य सचिव और खाद्य आयुक्त डॉ.आर राजेश कुमार ने कहा कि राज्य में मिलावटी घी और मक्खन बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

खाद्य विभाग के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि मिलावटी घी और मक्खन पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेशव्यापी अभियान शुरू कर दिया गया है।

अधिकारियों को सभी जनपदों में मिठाइयों की दुकानों और देशी घी व मक्खन बेचने वालों की दुकानों पर छापेमारी के निर्देश गए थे, जिसको लेकर कार्रवाई शुरू हो गई है। जांच टीम द्वारा कई कंपनियों के घी व मक्खन के सैंपल भी लिये गये हैं।

उन्होंने कहा कि सैंपल का टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह अभियान मण्डल के उपायुक्त और जनपदीय अभिहित अधिकारी के नेतृत्व में संचालित किया जा रहा है।

जिसमें वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी राज्य में स्थित विनिर्माण इकाइयों, भण्डारणकर्ता विक्रेताओं का सघन निरीक्षण कर स्थानीय एवं विभिन्न ब्रांडों के घी एवं मक्खन के विधिक एवं सर्विलांस नमूनों का संग्रहण करेंगे।

गढ़वाल मंडल में डिप्टी कमिश्नर आरएस रावत के नेतृत्व में छापेमारी अभियान चलाया गया। देहरादून जनपद के विभिन्न स्थानों पर देशी घी व मक्खन की जांच की गई। विभिन्न सैंपलों के नमूने इक्कठे कर जांच के लिए लैब भेजे गये।

देहरादून जनपद के शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण इलाकों हरबर्टपुर, सहसपुर और सुद्वोवाला में भी सघन छापेमारी अभियान चलाया गया।

कुमाऊं मण्डल में भी खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन उपायुक्त अनोज कुमार थपलियाल के नेतृत्व में टीम ने हल्द्वानी क्षेत्र में मिलावटी घी के विक्रय एवं भण्डारण के रोकथाम हेतु सघन निरीक्षण अभियान चलाकर नमूने जांच के लिए लैब भेजे।

अभियान के दौरान टीम द्वारा मंगलपड़ाव, कालाढूंगी रोड एवं रामपुर रोड, हल्द्वानी स्थित घी के थोक विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया।

उपायुक्त अनोज कुमार थपलियाल ने बताया कि घी के विभिन्न ब्राण्डों-पारस, पहलवान, मदर डेयरी एवं हेल्थ मेड देसी घी आदि के कुल चार नमूने संग्रहित किये गये तथा नोवा ब्राण्ड स्किम्ड मिल्क पाउडर का एक नमूना लेकर जांच के लिए लैब भेजे गये। जॉच रिपोर्ट प्राप्त होने पर तद्नुसार कार्यवाही की जायेगी।

जिन्हें नहीं पता उन्हें बताते चलें कि खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने हल्द्वानी और नैनीताल में मार्च 2024 से जुलाई 2024 तक खाद्य पदार्थों के 145 सैंपल लिए थे। इनमें से 104 सैंपल की रिपोर्ट आई। रिपोर्ट में दूध के दो, दही और खोया के एक-एक सैंपल अधोमानक पाए गए।

नैनीताल की दुकान में बिक रहे खुले पनीर में हानिकारक फैट मिला है। लेकिन आज दिन तक आम जनता को इन मिलावटखोरों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

वहीं, पतंजलि न्यूट्रेला सोया, बरेली स्थित बीएल एग्रो लिमिटेड का सरसों का तेल, तेजस फूड्स की सफेद ब्रेड भी अधोमानक पाई गई है। छह सैंपल मिस ब्रांड पाए गए हैं। ब्रांड में जो न्यूट्रिशियन जितनी मात्रा में दिखाया गया है, वह है ही नहीं।

तब खाद्य सुरक्षा विभाग के जिम्मेदारों की तरफ से कहा गया था कि पनीर में मिला फैट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाया गया। सभी को नोटिस भेजा गया है। अब उस नोटिस का क्या जवाब आया और उस पर खाद्य सुरक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने क्या एक्शन लिया, ये बताने वाला कोई नहीं है।

आर्सेनिक, कीटनाशक, लेड और कैडमियम मिले खाद्य पदार्थों के सेवन से कैंसर का खतरा हो सकता है। आर्सेनिक से मूत्राशय, फेफड़े और त्वचा कैंसर, हृदय एवं फेफड़े संबंधी रोग, मधुमेह आदि दिक्कत हो सकती है।

डॉक्टर्स बताते हैं कि आर्सेनिक एक तरह का धीमा जहर है जो किडनी, नसों और दिमाग पर असर डालता है। लंबे समय तक केमिकलयुक्त मसालों या उत्पाद का सेवन करने से कैंसर होने की आशंका रहती है। साथ ही लीवर और किडनी भी खराब हो सकती है। आमजन के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कानून और रेगुलर सैंपलिंग की जरूरत है।

टिन भोजन में मौजूद कार्बनिक अम्लों के साथ अभिक्रिया करता है। इसके कारण यह खाद्य पदार्थ में घुल सकता है और भोजन को जहरीला बना सकता है।

अत्यधिक कीटनाशक अवशेषों वाला भोजन लेने से स्वास्थ्य में तीव्र या दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। तीव्र विषाक्तता के लक्षणों में उल्टी, दस्त, पेट में दर्द, चक्कर आना और सुन्न होना शामिल हैं।

कैडमियम को कैंसरकारी और प्रजनन के लिए विषाक्त माना जाता है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से मनुष्यों में गुर्दे की क्षति तथा हड्डियों की कमजोरी होती है।

जबकि लेड शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है जिसमें मस्तिष्क, तंत्रिकाएं, किडनी, लिवर, रक्त, पाचन तंत्र और यौन अंग शामिल हैं।

सोचिए मिलावट का सामान सेहत के लिए कितना खतरनाक है बावजूद इसके खाद्य संरक्षा एवं औषधि नियंत्रक विभाग के जिम्मेदारों के लिए यह महज एक रुटीन का दायित्व भर है।

आज तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलने में लड्डुओं ने उत्तराखंड के साथ साथ हल्द्वानी में खाद्य संरक्षा एवं औषधि नियंत्रक विभाग के जिम्मेदारों को दफ्तर से निकलने को मजबूर किया है, अब आपको इनके दर्शन सीधे दिवाली से कुछ दिन पहले होंगे। तब तक हल्द्वानी में खाने पीने के सामान में रामराज्य के लुफ्त उठाइए।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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