हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देहरादून रिंग रोड स्थित सूचना भवन में सूचना विभाग की 05 घंटे तक समीक्षा बैठक ली।
बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को आमजन तक प्रभावी माध्यम से पहुंचाने के लिए सूचना तंत्र को मजबूत किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक तकनीक के प्रयोग के साथ प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के साथ ही सोशल मीडिया और यूट्यूब माध्यमों का भी अधिकाधिक प्रयोग सुनिश्चित किया जाए।
लेकिन अब मुख्यमंत्री जी को ये कौन बताए कि नैनीताल जिले में खुद जिलाधिकारी तक पत्रकारों का फोन उठाना तो दूर व्हाट्स एप पर मैसेज का जवाब तक देना जरूरी नहीं समझतीं।
जिलाधिकारी ही क्यों जिला और स्थानीय प्रशासन के अन्य जिम्मेदार अधिकारी तक भी व्हाट्स एप में जवाब देना, अपनी शान के खिलाफ समझते हैं, ऐसे में सूचना तंत्र कैसे मजबूत और प्रभावी होगा?
मुख्यमंत्री जी, यह बात महज आरोप लगाने के लिए नहीं कही है। आप कहेंगे तो आपको सबूत के तौर पर अधिकारियों के सरकारी व्हाट्स एप नंबर के स्क्रीनशॉट लेकर इस व्यवहार के साक्ष्य भी उपलब्ध करा देंगे।
मुख्यमंत्री जी, आप तो जानते ही हैं कि सोशल मीडिया के इस दौर में जब पहाड़ से मैदान तक हर कोई अपने फोन से हर छोटी बड़ी खबर से अपडेट रहता है, ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों का व्हाट्स एप मैसेज तक का रिप्लाई न करना… आप ही बताइए ऐसे में कैसे पुष्ट और विश्वसनीय खबरों का प्रचार प्रसार होगा?
ये हाल तब है जब लोकसभा चुनाव के पहले से नैनीताल जिले में जिलाधिकारी के स्तर पर जनता दरबार तक लगना बंद हो गया है। ऐसे में सोचिए अगर कुमाऊं आयुक्त अपने व्यस्ततम समय के बीच फरियादियों की पीढ़ा सुनने के लिए समय नहीं निकालते तो आमजन का क्या होता?
मुख्यमंत्री जी, आमजन की तो छोड़िए, पत्रकारों तक का फोन अधिकारी नहीं उठाते, क्या यह व्यवहार स्वस्थ लोकतंत्र और राज्य के लिए ठीक है ? हालाकि ये बात उनके लिए लागू नहीं है जो अधिकारियों की फ्रैंड लिस्ट में शामिल हैं।
मुख्यमंत्री जी, एक और बात… सूचना विभाग में वर्तमान में 615 वेब पोर्टल सूचीबद्ध हैं। जिनमें सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ उत्तराखंड से जुडी महत्त्वपूर्ण खबरों का प्रचार प्रसार होता है लेकिन सूचना विभाग इन वेब पोर्टल में कार्यरत पत्रकारों को पत्रकार तक नहीं मानता।
इसकी बानगी हर बार लोकतंत्र के महापर्व चुनाव के दौरान देखने को मिलती है, जब वेब पोर्टल के पत्रकारों को चुनावी कवरेज के ‘पास’ यह कहकर नहीं दिए जाते कि वो वेब पोर्टल के पत्रकार हैं। चुनावी कवरेज के ‘पास’ केवल प्रिंट और न्यूज चैनल के पत्रकारों को दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री जी, ऐसे में आप ही बताइए जब पत्रकारों को ही प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया के नाम पर बांटा जाएगा तो कैसे आप ये उम्मीद करेंगे कि सूचना का तंत्र विश्वसनीय और मजबूत बनेगा?
जब 615 वेब पोर्टल राज्य के सूचना विभाग में पंजीकृत हैं , उनमें राज्य सरकार की लोकहित वाली योजनाओं का प्रचार प्रसार होता है। बकायदा सरकारी विज्ञापन तक जारी होता है तो फिर क्यों उनमें कार्यरत पत्रकारों के साथ यह दोयम दर्जे का व्यवहार राज्य में हो रहा है?
मुख्यमंत्री जी, आज आपने राज्य के पत्रकारों के हित में आज पांच घंटे तक समीक्षा की है। ऐसे में एक सुझाव और आपके सामने रखते हैं जिससे राज्य में सूचना का तंत्र मजबूत होने में मदद मिलेगी।
आप बस अपने इंटेलिजेंट अफसरों से वो पैमाना तय करवा दीजिए जिससे राज्य में कौन पत्रकार है और कौन पत्रकार के भेष में विशुद्ध दलाल यह साफ हो जाए।
यह बात इसलिए क्योंकि जन सरोकारों का ये पवित्र पेशा साल दर साल बदनाम हो रहा है। आज आलम यह है कि आमजन के बीच यह धारणा गहराती जा रही है कि पत्रकार को बिके हुए और दलाल होते हैं।
मुख्यमंत्री जी, हल्द्वानी में तो आलम यह है कि कुछ एक तो माइक आईडी लेकर पत्रकारिता का रौब झाड़कर फल और सब्जी वालों तक से उगाही करने से नहीं चूक रहे।
जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो सरकारी विभागों में छद्म ईमानदार छवि की आड़ में छुपे बैठे भ्रष्ट अधिकारियों के दलाल का काम कर रहे हैं। इसका खुलासा पिछले दिनों जिला विकास प्राधिकरण के कार्यालय में कुमाऊं आयुक्त के छापे के दौरान हुआ था। आप पूछेंगे तो कुमाऊं आयुक्त आपको सारी डिटेल बता देंगे। बाकी 12 जिलों का क्या हाल है यह आप वहां के जिला सूचना अधिकारी से पूछ लीजिएगा।
अब आप ही सोचिए यह सब सुनकर वर्षों से जनसरोकारों की पत्रकारिता कर रहे कलम के वरिष्ठ और कनिष्ठ सिपाहियों और उनके परिजनों पर क्या बीतती होगी? आप ही बताइए क्या इस कलंक के साथ भविष्य में नई पीढ़ी इस पेशे से जुड़ने की हिम्मत करेगी?
यह बात ठीक वैसे ही है कि जैसे अगर कोई कह दे कि उत्तराखंड में सब नेता भ्रष्ट और चोर होते हैं। जबकि राज्य की कमान आप जैसे कर्मठ मुख्यमंत्री के हाथ है जिसके लिए जनता का सुख और राज्य का विकास सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री जी, अगर आप चाहते हैं कि राज्य में सूचना का तंत्र विश्वसनीय और मजबूत बने तो आपसे यही निवेदन है कि सबसे पहले पत्रकारिता के लिए मानक तय कर दीजिए। आपने कई मामलों में उत्तराखंड को नंबर वन बनाया है, इस मामले में भी निर्णय लेकर उत्तराखंड को देश में पहला राज्य बना ही दीजिए।
मुख्यमंत्री जी, आज आलम यह है कि जिनके डीएनए में रंगदारी, वसूली, घूसखोरी व्याप्त है, वो भी पत्रकार का चोला ओढ़कर हल्द्वानी और नैनीताल जिले के दूसरे इलाकों में घूम रहे हैं। बाकी 12 जिलों में क्या चल रहा है, यह आपको वहां के जिला सूचना अधिकारी बेहतर बता सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि जनपद में हो रहे विभिन्न घटनाक्रमों की भी नियमित माॅनिटरिंग की जाए। जिला सूचना अधिकारियों द्वारा सुनिश्चित किया जाए कि जनपदों में मीडिया के साथ बेहतर समन्वय के साथ कार्य करें।
जिलाधिकारी और अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों से निरंतर समन्वय बनाते हुए सरकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि जनपद स्तर पर सूचना तंत्र को और मजबूत बनाने के लिए मानव संसाधन के साथ आधुनिक तकनीक पर विशेष बल दिया जाए।
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सूचना तंत्र राज्य के पर्वतीय जनपदों में भी मजबूत हो। इसके लिए विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जनपदों का नोडल अधिकारी बनाया जाए।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि पत्रकार कल्याण कोष के लिए काॅरपस फंड की धनराशि 05 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ की जाएगी। पत्रकारों के लिए ग्रुप इंश्योरेंस लागू करने के संबंध में उन्होंने विभाग को परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। तहसील स्तर तक पत्रकारों को मान्यता प्रदान करने के लिए भी व्यवस्था बनाई जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार और जनता के बीच समन्वय बनाने के लिए सरकार के चेहरे के रूप में सूचना विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विभाग द्वारा सुनिश्चित किया जाए कि मीडिया और विभिन्न प्रचार माध्यमों से जनता को सरल भाषा में सरकार के कार्यों और योजनाओं की जानकारी दी जाए।
सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने मुख्यमंत्री को बताया कि राज्य में प्रिंट मीडिया में 1572 सूचना पत्र पत्रिकाएं सूचीबद्ध हैं। जबकि 41 इलेक्ट्रॉनिक चैनल सूचीबद्ध हैं। सोशल मीडिया में 615 वेब पोर्टल व 13 कम्युनिटी रेडियो सूचीबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि विभाग में कार्मिकों के काफी पद रिक्त चल रहे हैं। सूचना अधिकारी और अन्य पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनहित में सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और कार्यों की सक्सेस स्टोरी नियमित प्रकाशित की जाए। मुख्यमंत्री ने सचिव सूचना को निर्देश दिए कि विभाग के कार्यों में और तेजी लाने और विभिन्न व्यवस्थाओं में सुधार के लिए प्रत्येक 15 दिन में विभाग की समीक्षा की जाए।
सूचना विभाग द्वारा विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित करते हुए सरकार के महत्वपूर्ण कार्यों को मीडिया के माध्यम से जन सामान्य तक पहुंचाया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि विकास पुस्तिका डिजिटल रूप में भी प्रस्तुत की जाए। फिल्म निर्माताओं को राज्य में फिल्म निर्माण के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें हर संभव सुविधा उपलब्ध कराई जाए। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका में भी वृद्धि होगी।
बैठक में विधायक उमेश शर्मा काऊ, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् विश्वास डाबर, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव सूचना शैलेश बगोली, अपर निदेशक सूचना आशीष त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक केएस चौहान, डाॅ. नितिन उपाध्याय, वरिष्ठ वित्त अधिकारी शशि सिंह, उप निदेशक मनोज श्रीवास्तव और रवि बिजारनिया मौजूद रहे।