पौड़ी/हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। मेरा मुंसिफ ही मेरा कातिल है क्या मेरे हक में फैसला देगा… पौड़ी गढ़वाल के जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (जीबीपीआईईटी) में इन दिनों यही चल रहा है।
जीबीपीआईईटी के प्रभारी निदेशक डॉ. वीएन काला पर उत्पीड़न, अनुचित दबाव, प्रशासनिक लापरवाही और शैक्षणिक असुविधाओं का आरोप लगा है। यह आरोप किसी ऐसे वैसे ने नहीं बल्कि इंस्टीट्यूट में 14 वर्षों से विद्यार्थियों का भाग्य बना रहे एक जिम्मेदार प्रोफेसर ने लगाया है। वो भी पूरे तथ्यों और प्रमाणों के साथ…
हैरान मत होइए ये बात सौ आने सच है। जिस कॉलेज से शिक्षा लेकर छात्र छात्राएं अपना भविष्य उज्जवल करने का सपना देखते हों, उसी कॉलेज में एक गुरु ऐसे भी हैं जो इस कदर परेशान हो चुके हैं कि आज उन्हें मजबूरन अपनी पीढ़ा को सचिव, तकनीकी शिक्षा/ उपाध्यक्ष, प्रशासकीय परिषद जीबीपीआईईटी पौड़ी-गढ़वाल उत्तराखंड शासन के सामने रखना पड़ा है।
इसके लिए उन्होंने बकायदा एक पत्र लिखकर इंस्टीट्यूट में हो रही ऐसी ऐसी मनमानियों का कच्चा चिट्ठा खोला है जिसे पढ़कर आप यानी हर उत्तराखंडी दंग रह जाएगा कि आखिर उत्तराखंड के नमी सरकारी संस्थानों में किस कदर रायता बिखरा हुआ है। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की तमाम किस्से आपने सुने होंगे लेकिन शिक्षा संस्थान में जिम्मेदारों के कारस्तानी पढ़कर आप भी दंग रह जाएंगे।
लेकिन बड़ा सवाल यही है आखिर जिस बेबाकी और निडरता से डॉ. भीष्म सिंह खाती ने अपनी पीढ़ा और कॉलेज के जिम्मेदारों की करतूत को उत्तराखंड शासन तक पहुंचाया है, क्या उस पर संजीदा होकर कार्रवाई होगी? क्या भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक जीबीपीआईईटी का यह गड़बड़झाला पहुंचेगा?
जो नहीं जानते उन्हें बताते चलें कि डॉ. भीष्म सिंह खाती आईआईटी रुड़की से एमटेक और आईआईटी रुड़की से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त प्रोफेसर हैं। वर्तमान में डॉ. खाती पौड़ी गढ़वाल के जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (जीबीपीआईईटी) में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी के साथ ही दूसरी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं।
आप भी उस पत्र को पढ़िए जो सचिव, तकनीकी शिक्षा/ उपाध्यक्ष, प्रशासकीय परिषद जीबीपीआईईटी पौड़ी-गढ़वाल उत्तराखंड शासन को डॉ. भीष्म सिंह खाती की ओर से लिखा गया है और समझिए उत्तराखंड के जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (जीबीपीआईईटी) में किस कदर बुद्धिजीवियों की अराजकता हावी है।
पत्र में डॉ. भीष्म सिंह खाती ने जीबीपीआईईटी के प्रभारी निदेशक डॉ. वीएन काला पर उत्पीड़न, अनुचित दबाव, प्रशासनिक लापरवाही और शैक्षणिक असुविधाओं का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा है कि मैं डॉ. भीष्म सिंह खाती जीबीपीआईईटी पौड़ी गढ़वाल में वर्ष 2011 से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हूँ। इसके साथ ही मेरे पास सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रभारी सिविल मेंटेनेंस तथा प्रभारी वाटर सप्लाई का कार्यभार भी है पिछले कुछ महीनों (जून-2024) से संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ. वी. एन. काला द्वारा द्वेष भावना से ग्रसित होकर मेरे प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार तथा उत्पीड़न किया जा रहा है। जिस कारण मैं मानसिक रूप से अत्यंत परेशान हो चूका हूँ। इस संदर्भ मैं आपके सामने निम्न बिंदु प्रस्तुत करना चाहता हूँ।
1. महोदय, मुझे नवंबर 2023 मैं प्रभारी सिविल मेंटेनेंस का कार्यभार दिया गया था. संस्थान मैं पूर्व से ही विभिन्न प्रकार के कुछ निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके थे और कुछ गतिमान थे. निदेशक महोदय द्वारा दिनांक 15.06.2024 को विभिन्न निर्माण कार्यों के एक सप्ताह के भीतर भौतिक सत्यापन और भुगतान के सम्बन्ध मैं संस्तुति हेतु पत्र दिया गया।
लेकिन ये पत्र मुझे दिनांक 24.06.2024 को प्रातः प्राप्त हुआ। इस पत्र के जवाब में, पत्र भेजकर मेरे द्वारा प्रभारी निदेशक महोदय को उसी दिन दिनांक 24.06.2024 को यह अवगत करवाया गया कि पूर्व में हो चुके कार्यों कि देयक धनराशि करोड़ों में है और संस्थान में कनिष्ठ अभियंता, सिविल का पद नवंबर 2023 से रिक्त है। जिस कारण जे.ई. के विभिन्न उत्तरदायित्व जैसे Site Supervision, Quality Assurance and Site Measurement जैसे महत्वपूर्ण कार्य नहीं हो पा रहे हैं। इसी पत्र के माध्यम से मैंने स्पष्ट शब्दों में प्रभारी निदेशक महोदय को यह भी बता दिया कि जे.ई. सिविल के मापन और सत्यापन के बिना इन कार्यों का मेरे द्वारा प्रसंस्करण करना संभव नहीं है।
मेरे द्वारा पूर्व में भी दिनांक 08.05.2024 को प्रभारी निदेशक महोदय को जे.ई. सिविल की तत्काल नियुक्ति किये जाने हेतु पत्र प्रेषित किया गया था लेकिन ये जानते हुए की संस्थान में जे.ई. सिविल नहीं है, इसके बावजूद भी इनके द्वारा तुरंत ही दिनांक 24.06.2024 को फिर से मेरे ऊपर दवाब बनाते हुए भुगतान के सम्बन्ध मैं संस्तुति हेतु पत्र दिया गया और यह भी निर्देशित किया गया कि उक्त कार्य के संस्तुति दिए बिना आपका ग्रीष्मकालीन अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा, जिसे शिक्षकों को प्रतिवर्ष 05 महीने के बाद दिया जाता है।
महोदय, ये पत्र पढ़कर मेरे समझ में ये नहीं आया कि प्रभारी निदेशक महोदय बिना भौतिक सत्यापन के और उचित प्रक्रिया का पालन न करते हुए जल्दबाजी में लगभग 2.30 करोड़ का भुगतान क्यो करवाना चाह रहे हैं और जिसके लिए मेरा अवकाश भी अस्वीकृत करना चाह रहे हैं।
लेकिन मैंने फिर भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए दिनांक 28.06.2024 को पत्र के माध्यम से प्रभारी निदेशक महोदय को पुनः अवगत करवाया कि जे.ई. सिविल के सत्यापन के बिना भुगतान करना नियम के विरुद्ध है और मेरा यह आपके दबाव में आकर प्रसंस्करण करना संभव नहीं है।
महोदय, बार-बार प्रभारी निदेशक महोदय द्वारा कभी पत्र के माध्यम से और कभी बार-बार मौखिक रूप से बिना उचित प्रक्रिया का पालन किये करोड़ों के भुगतान के लिए मेरे ऊपर बार-बार अनुचित दवाब बनाने से में काफी परेशान हो रहा था।
इसी परेशानी के बीच जब मैंने भुगतान सम्बन्धी उचित प्रक्रियाओं का बारीकी से अध्ययन किया तो मुझे पता चला कि संस्थान के समस्त सिविल कार्यों के समय पर गुणवत्तापूर्वक निष्पादन, सत्यापन एवं भुगतान हेतु संस्थान के उपनियमों (कॉलेज के Byelaws page no. 20 and point no. 28, संलग्नक 7 page no 13-14) में उल्लिखित भवन निर्माण समिति (BWC) का गठन करना अत्यंत आवश्यक है।
मैंने इस नियम को लिखित रूप में पत्रावली (Note sheet page no 90) के माध्यम से प्रभारी निदेशक महोदय को दिनांक 19.09.2024 को प्रस्तुत किया। इसके बावजूद प्रभारी निदेशक महोदय द्वारा भुगतान करने हेतु “सकारात्मक कार्यवाही कर समाधान कराने” का निर्देश दिया गया और इनके द्वारा भवन निर्माण समिति के बारे में लिखित सूचना देते हुए यह बताया गया कि यह समिति शासन द्वारा पूर्व में ही स्वीकृत की जा चुकी है (जिसे संस्थान की पत्रावली से सत्यापित किया जा सकता हैं), जिस कारण मैंने इस फाइल को अग्रेषित कर दिया।
लेकिन कुछ दिनों के बाद मेरे संज्ञान में आया कि वर्तमान में संस्थान में कोई भी भवन निर्माण समिति अस्तित्व में नहीं है। इनके द्वारा मुझे पत्रावली में गलत जानकारी दी गयी थी। महोदय संस्थान के नियमो के अनुसार सिविल निर्माण सम्बंधित कार्यों के भुगतान हेतु प्रभारी सिविल मेंटेनेंस द्वारा एक सर्टिफिकेट देना पड़ता है जिसमें उसे यह घोषणा करनी पड़ती है कि सम्पूर्ण कार्य उसके सुपरविजन, शत प्रतिशत निर्धारित गुणवत्ता के अनुरूप है तथा यह कार्य उचित रीती तथा निति के साथ संतोषजनक तथा निर्धारित नियमानुसार सम्पादित करवाया गया है”।
महोदय, प्रभारी निदेशक द्वारा मेरे ऊपर इस सर्टिफिकेट को हस्ताक्षर करने का दवाब लम्बे समय से बनाया जा रहा है. महोदय में जैसा पहले भी अवगत करा चुका हूँ कि निर्माण कार्य को भवन निर्माण समिति द्वारा सत्यापित नहीं किया गया है अतः गुणवत्ता सर्टिफिकेट को मेरे द्वारा करना अनैतिक है और जनहित के खिलाफ है।
महोदय, इस मानसिक दवाब से में बहुत परेशान हो चुका हूँ और इसका असर मेरी पारिवारिक और प्रोफेशनल जिंदगी में पड़ रहा है. महोदय अगर सारा निर्माण कार्य गुणवत्ता के अनुरूप हुआ है तो प्रभारी निदेशक महोदय उसे भवन निर्माण समिति से सत्यापित करवाने में क्यो झिझक रहे हैं और मुझ पर गुणवत्ता सर्टिफिकेट को तत्काल हस्ताक्षर करने का दवाब क्यों बना रहे हैं। ये अंत्यंत गंभीर मामला है और जाँच का विषय है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रभारी निदेशक महोदय की इस भुगतान में कुछ व्यक्तिगत रुचि है।
2. महोदय आपके संज्ञान में लाना है कि संस्थान में वर्तमान में चल रहा सेमेस्टर अगस्त 2024 में शुरू हुआ है जिसके एग्जाम दिसंबर 2024 में होना प्रस्तावित है. लेकिन आपको यह जानकर अत्यंत हैरानी होगी कि कुछ सब्जेक्ट्स जैसे Environmental Studies (मैकेनिकल और बायोटेक), constitution of India (सिविल इंजीनियरिंग) की क्लासेज आज तक संचालित नहीं हुई हैं और कुछ सब्जेक्ट्स जैसे Operation रिसर्च (सिविल इंजीनियरिंग), Disaster preparedness and planning, Environmental Studies (सिविल इंजीनियरिंग) की 3-4 ही क्लासेज हुई हैं।
जिसका सत्यापन स्टूडेंट्स से पूछ कर या अटेंडेंस रजिस्टर से किया जा सकता हैं। कुछ सब्जेक्ट्स के तो क्लास टेस्ट-1 भी Academic Calendar के अनुसार नहीं लिए गए हैं. इसके बारे में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के स्टूडेंट्स द्वारा मुझे पूर्व में अवगत भी करवाया गया था।
इसके बाद मैंने विभागाध्यक्षों की अगस्त सितम्बर महीने में हुई सभी मीटिंग्स में प्रभारी निदेशक महोदय को इस महत्वपूर्ण शैक्षणिक मामले के बारे में बताया।
इन मीटिंग्स में अन्य विभागाध्यक्षों द्वारा भी इस मामले को निदेशक महोदय के संज्ञान में लाया गया लेकिन उन्होंने इस मामले को अनदेखा किया और उनके द्वारा मुझे बोला गया कि आप अपने डिपार्टमेंट का required teaching load दे दीजिये और बाकि में देख लूंगा।
महोदय, सिविल विभाग में टीचिंग लोड के हिसाब से शिक्षकों की कमी है, जिस की मांग में समय-समय पर प्रभारी निदेशक महोदय से कर चुका था लेकिन इन्होने जान बूझकर गेस्ट शिक्षक नहीं दिए। इसके बाद जब अक्टूबर के महीने तक भी क्लासेज संचालित नहीं हुई तो मुझे मजबूर होकर इस मामले को प्रभारी निदेशक महोदय के संज्ञान में लिखित रूप से लाना पड़ा।
यह स्थिति अन्य विभाग में भी थी लेकिन वहां प्रभारी निदेशक महोदय ने सितम्बर के महीने में ऑनलाइन माध्यम से क्लासेज संचालित करने हेतु अनुमति प्रदान कर दी लेकिन आपको जानकर और हैरानी होगी क़ि सिविल इंजीनियरिंग विभाग में ऑनलाइन माध्यम से क्लासेज संचालित करने हेतु अनुमति नहीं दी गयी।
महोदय, एक शैक्षणिक संस्थान में क्लासेज को सही समय पर संचालित करवाना निदेशक महोदय का परम दायित्व है और इस बारे में उन्हें गंभीरता से प्रयास करना चाहिए. लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है क़ि निदेशक महोदय का शैक्षणिक गतिविधियों में कोई ध्यान नहीं और इस मामले में उनका रवैया लापरवाही भरा है जो कि एक सोचनीय विषय है।
3. महोदय सिविल इंजीनियरिंग विभाग में CAD LAB है जिसमें 54 कम्प्यूटर्स हैं. इस लैब में स्टूडेंट्स बिल्डिंग डिज़ाइन, सिमुलेशन, प्रोजेक्ट रिलेटेड वर्क इत्यादि से सम्बंधित सॉफ्टवेयर्स पर काम करते हैं जो कि बी. टेक. और ऍम. टेक. इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
CAD LAB के सभी कम्यूटर्स काफी अच्छे configuration के हैं और महंगे भी हैं. बिजली से होने वाले fluctuations और बिजली के न होने क़ि दशा में इन्हें चलाने के लिए 20 kVA के दो यूपीएस सिस्टम्स लगे हुए हैं, जो कि वर्तमान में ख़राब हो गए हैं। मैंने इस बारे में पूर्व में भी निदेशक महोदय को लिखित में अवगत करवाया था।
इन UPS सिस्टम्स को ठीक करने के लिए देहरादून से बुलाये गए एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर एक प्रस्ताव निदेशक महोदय को दिया गया था (September 2024). जिस पर प्रभारी निदेशक महोदय द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी और पूछने पर उन्होंने कहा कि प्रस्ताव की फाइल खो गयी है।
महोदय, संस्थान में बिजली जाती रहती है और बिजली से होने वाले fluctuations भी लगातार होते रहते हैं और UPS सिस्टम्स न होने के कारण सभी कम्प्यूटर्स ख़राब होने लगे है और इसका असर स्टूडेंट्स की शिक्षा पर पड़ जायेगा। महोदय, प्रभारी निदेशक का स्टूडेंट्स की शिक्षा के लिए इस तरह का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार अत्यंत सोचनीय है।
4. महोदय मैंने नवम्बर 2023 में IIT गुवाहाटी में दिसंबर 11-14, 2024 में होने वाली इंटरनेशनल कांफ्रेंस में एक रिसर्च पेपर सबमिट किया, जिसको कांफ्रेंस समिति द्वारा सभी समीक्षाओं के बाद जुलाई 2024 में पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया गया।
लेकिन जब मैंने अगस्त 2024 को प्रभारी निदेशक महोदय से मेरे कंसल्टेंसी रिसर्च फण्ड के द्वारा (जिसमें पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है) कॉन्फ्रेंस में प्रतिभाग और पेपर प्रजेंट करने की अनुमति मांगी तो उन्होंने मना कर दिया. अगर में IT गुवाहाटी जाकर यह पेपर प्रजेंट करता तो यह जिओटेक्नीकल स्पेशल पब्लिकेशन के जर्नल में पब्लिश हो जाता।
महोदय, जबकि अब कॉन्फ्रेंस में पेपर प्रजेंट करने के लिए रजिस्ट्रेशन करने की अंतिम तिथि निकल चुकी है. महोदय रिसर्च किसी भी शैक्षणिक संस्थान के लिए जरुरी है जिस का असर छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर भी पड़ता है।
इतने प्रतिष्ठित संस्थान में रिसर्च पेपर स्वीकार होने के बाद तथा कंसल्टेंसी रिसर्च फण्ड में पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद भी मुझे कॉन्फ्रेंस में प्रतिभाग न करने देना प्रभारी निदेशक महोदय का मेरे प्रति द्वेष भावना को दिखाता है।
5. महोदय NBA (National Board of Accreditation) भारत में एक स्वायत्त संस्था है जो शैक्षणिक कार्यक्रमों की गुणवत्ता को मान्यता प्रदान करती है, विशेषकर इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मेसी, वास्तुकला और अन्य तकनीकी एवं व्यावसायिक क्षेत्रों में।
यह संस्था AICTE (All India Council for Technical Education) के अधीन काम करती है और इसके द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर शैक्षणिक कार्यक्रमों को मान्यता दी जाती है। NBA मान्यता यह सुनिश्चित करती है कि किसी संस्था के शैक्षणिक कार्यक्रमों में आवश्यक मानकों का पालन किया जा रहा है।
यह मान्यता संस्थान की शिक्षा की गुणवत्ता को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने में मदद करती है। NBA मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों में अध्ययन करने वाले छात्रों को यह विश्वास होता है कि उन्हें उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल रही है, जो उनके करियर के लिए फायदेमंद साबित होगी। भारत में कई संस्थानों के लिए NBA मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य है, खासकर उन संस्थानों के लिए जो इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा प्रदान करते हैं। बिना NBA मान्यता के, संस्थान को कुछ महत्वपूर्ण अधिकार और सुविधाएँ प्राप्त नहीं हो सकतीं।
महोदय, किसी भी विभाग को NBA मान्यता देने वाली टीम विभाग के शिक्षकों की गुणवत्ता, शोध, अवसंरचना, छात्रों के परिणाम के साथ ही यह भी देखती है कि विभाग में कितने सीनियर शिक्षक यानि कि कितने प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर हैं. सिविल इंजीनियरिंग विभाग में वर्तमान में कोई भी प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर नहीं हैं।
जबकि सिविल इंजीनियरिंग विभाग में मेरे अलावा कुछ अन्य शिक्षकों का एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन February 2023 से होना है. लेकिन निदेशक महोदय (जो कि मई 2023 से संस्थान के निदेशक के पद पर कार्यरत हैं) जान बूझ कर इंटरव्यूज न करवाकर शिक्षकों का प्रमोशन नहीं कर रहे हैं, जबकि AICTE के नोटिफिकेशन के हिसाब से हर 06 महीने में CAS प्रमोशन के लिए इंटरव्यूज करवाना आवश्यक है. इसी कारण सिविल इंजीनियरिंग विभाग NBA से मान्यता भी नहीं ले पा रहा है. इस प्रकार के विषयो पर इनका कोई ध्यान नहीं रहता है।
6. महोदय संस्थान की केंद्रीय क्रय समिति CPC की 64 वी बैठक दिनांक 27/06/2024 की बिंदु संख्या 64.09 में सर्वसमिति द्वारा सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बी. एस. खाती के मांग पत्र के क्रम में फील्ड से सम्बंधित कार्यों हेतु एक लैपटॉप GEM पोर्टल के माध्यम से मेरे कंसल्टेंसी रिसर्च फण्ड के द्वारा क्रय किये जाने हेतु अनुमोदन प्रदान किया गया (संलग्नक 13 page no 22-24). इसके बाद संस्थान द्वारा GEM पोर्टल के माध्यम से अन्य सामानो की खरीददारी की गयी लेकिन मेरे द्वारा बार-बार आग्रह किये जाने के बाद भी प्रभारी निदेशक महोदय द्वारा मेरे लैपटॉप को न खरीदने का आदेश September में Purchase Officer को मेरे सामने ही निदेशक ऑफिस में दिया गया।
महोदय उपरोक्त बिंदुओं में दी गयी जानकारी से ये स्पष्ट है कि निदेशक महोदय जून 2024 से मेरे प्रति द्वेष भावना रखते हुए पक्षपात पूर्ण व्यवहार कर रहे हैं।
इसका प्रमुख कारण यह है कि मै 2.30 करोड़ की पेमेंट करने के लिए गुणवत्ता सर्टिफिकेट नहीं दे पा रहा हूँ जिसमें निदेशक महोदय की कुछ व्यक्तिगत रूचि है क्योकि ये निर्माण कार्य को बिना भवन निर्माण समिति से सत्यापित करवाए भुगतान करने को कह रहे हैं और लगातार मुझ पर अनुचित कार्य करवाने का दवाब बना रहे हैं. महोदय अगर मैंने इनके दवाब में आकर गुणवत्ता सर्टिफिकेट दे दिया तो भविष्य में कभी भी मुझ पर कार्यवाही हो सकती है. इस कारण से में मानसिक रूप से अत्यंत परेशान हो चूका हूँ।
भुगतान न करने के कारण ये मुझसे काफी नाराज हो गए हैं और अपना गुस्सा मेरे से सम्बंधित अन्य मामलों में निकाल रहे हैं जैसे कि मुझे ग्रीष्मकालीन अवकाश न देने कि धमकी देना, क्रय समिति के अनुमोदन के बाद भी मुझे फील्ड वर्क के लिए लैपटॉप न देना, मेरे विभाग में समयानुसार क्लासेज संचालित करने के लिए शिक्षक न देना, मुझे गुवाहटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में रिसर्च पेपर स्वीकार हो जाने के बाद भी जाने कि अनुमति न देना, सिविल इंजीनियरिंग विभाग में लैब्स के उचित रखरखाव के लिए उपकरण न देना – जिनका पूर्ण विवरण साक्ष्य सहित में उपरोक्त में बिंदुवार दे चूका हूँ।
महोदय, इनके कारण मेरा संस्थान में नौकरी करना मुश्किल हो गया है जिसका असर अब मेरी पारिवारिक जिंदगी में भी पड़ने लगा है। महोदय में लम्बे समय से इनका दवाब में काम करता आ रहा हूँ और अब ये सीधे मेरे अधिकारों पर भी हमला करने लगे हैं जिस से अब मेरे सब्र का बांध टूट गया है और में इनकी शिकायत आपसे करने पर मजबूर हो गया हूँ।
सचिव महोदय, देहरादून में मेरे वृद्ध माताजी, पिताजी और मेरी पत्नी तथा 11 साल का बच्चा रहते हैं। दिनांक 06/11/2024 को अपरान्ह मेरे वृद्ध पिता जी की तबियत कुछ ख़राब सी हुई और इस बारे में मेरी माता जी द्वारा फोन पर मुझे अवगत करवाया गया।
महोदय में तुरंत ही शाम को आकस्मिक अवकाश (CL) का फॉर्म भरके, उसे ऑफिस में रखकर देहरादून निकल गया. महोदय अगले दिन दिनांक 07/11/2024 को निदेशक महोदय द्वारा सिविल इंजीनियरिंग विभाग में पूर्वान्ह 10:30 बजे निरीक्षण किया गया और इस दौरान मेरा अवकाश पत्र विभाग के कर्मचारियों से माँगा गया।
जिसे उपस्थित कर्मचारियों द्वारा तत्काल उपलब्ध नहीं करवाया जा सका जबकि यह अवकाश पत्र विभाग के ऑफिस में ही उपलब्ध था। इस बारे में अगर मेरे कर्मचारियों द्वारा तुरंत मुझे फोन से अवगत करवाया गया होता तो मैं तत्काल अवकाश पत्र की विभाग के ऑफिस में उपलब्धता के बारे में बता देता।
ऐसा प्रतीत होता है कि जान बूझकर निदेशक महोदय द्वारा मुझसे कोई वार्तालाप नहीं की गयी और मेरे बारे में विभाग के उपस्थित कर्मचारियों के सामने बिना सही तथ्यों की छानबीन किये, चिल्लाते हुए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए इनके द्वारा नाराजगी दिखाई गयी।
निदेशक महोदय के जाने के तुरंत बाद विभाग के कर्मचारियों द्वारा इस घटना के बारे में मुझे अवगत करवाया गया। मैंने उन्हें बताया कि मेरा अवकाश पत्र विभाग के ऑफिस में ही है। इस अवकाश पत्र में चार्ज का हैंड ओवर तथा क्लास वर्क लोड भी उल्लिखित है।
इसके बाद सिविल इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारियों द्वारा मेरे अवकाश पत्र को उसी दिन निरीक्षण के तुरंत 15 मिनट बाद ही दिनांक 07/11/2024 को ही पूर्वान्ह 11:05 बजे निदेशक महोदय के समक्ष निदेशक कार्यालय में प्रस्तुत किया गया। लेकिन निदेशक महोदय द्वारा अवकाश पत्र को देखने के बाद भी उसे स्वीकार नहीं किया गया, साथ ही इनके द्वारा कहा गया कि डॉ. बी. एस. खाती के खिलाफ कार्यालय आदेश निकाल रहा हूँ।
महोदय आकस्मिक अवकाश एक प्रकार का सवैतनिक अवकाश है जो किसी कर्मचारी को दिया जाता है, जिसे किसी अप्रत्याशित स्थिति या बिना किसी पूर्व योजना के घटित होने वाली अप्रत्याशित घटना के दौरान लागू किया जा सकता है। अप्रत्याशित परिस्थितियाँ अप्रत्याशित रूप से किसी कर्मचारी की अचानक अनुपस्थिति को जन्म दे सकती हैं, चाहे वह सरकारी सेवा में हो या किसी अन्य कार्यालय में या किसी औद्योगिक उपक्रम में।
इन्होने न केवल मेरे खिलाफ आदेश निकाला बल्कि उसे व्हाट्सप्प के माध्यम से कर्मचारियों और स्टूडेंट्स के ग्रुप्स में भी प्रचारित करवाया।
महोदय आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि जिस समय निदेशक महोदय, डीन ऐकडेमिक के साथ सिविल एवं अन्य विभागों का निरीक्षण कर रहे थे उसी समय (पूर्वान्ह 10 बजे से 11 बजे तक) इनकी फर्स्ट ईयर में क्लास थी, जिसे इनके द्वारा नहीं लिया गया था और निदेशक महोदय उस समय मुझे ढूंढ रहे थे।
संस्थान के वरिष्ठतम प्रोफेसर जिनके पास निदेशक का भी चार्ज है अपनी क्लास को छोड़कर अन्य लोगो के बारे में जानकारी रखने के लिए विभागों में घूम रहे थे। आप समझ सकते हैं कि ये संस्थान में किस प्रकार का माहौल बनाना चाह रहे हैं। इन्हें शैक्षणिक माहौल से कोई मतलब नहीं है, इनका मकसद सिर्फ अन्य लोगो के पीछे लगकर उन पर दवाब बनाकर, उनसे गलत काम करवाना ही रह गया है।
महोदय मैं सिविल विभाग में 2011 में ज्वाइन करने वाला प्रथम नियमित शिक्षक था। मैं आपको अवगत करवाना चाहता हूँ की मेरे आने से पहले न तो डिपार्टमेंट में कोई लैब थी और नहीं कोई ऑफिस हुआ करता था. महोदय मैंने इस विभाग को ऊंचाई पर ले जाने के लिए, सम्पूर्ण नियमो और सीमाओं का ध्यान रखते हुए, पिछले 14 वर्षों से छात्र और संस्थान हित में हर संभव प्रयास किया है और अभी भी निरंतर प्रयासरत हूँ।
जब प्रभारी निदेशक मुझसे अनैतिक और अनुचित भुगतान करवाने में सफल नहीं हो पाए तो अब ये संस्थान तथा समाज के सामने मुझे बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं और मेरा शैक्षणिक कैरियर भी ख़राब करना चाहते है। महोदय मेरे द्वारा गुणवत्ता सर्टिफिकेट भवन निर्माण समिति के सत्यापन के बिना देना संभव नहीं है. मै संस्थान में होने वाली किसी भी तरह की भ्रष्टाचार से सम्बंधित गतिविधियों का न तो हिस्सा बनना चाहता हूँ और न ही बढ़ावा देना चाहता हूँ।
निदेशक महोदय के मेरे प्रति रवैये के कारण में आजकल बहुत ज्यादा मानसिक परेशानी और डिप्रेशन में हूँ. मेरे जीवन के साथ मेरे माता जी, पिता जी, पत्नी और बच्चे का जीवन भी जुड़ा हुआ है. अगर मुझे कुछ होता है तो मेरे परिवार का जीवन भी खतरे में आ जायेगा।
मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि मुझे प्रभारी सिविल मेंटेनेंस के प्रभार से मुक्त कर दिया जाये और निदेशक महोदय को आदेशित करें कि वो मेरा अन्य तरीको से उत्पीड़न करना तत्काल बंद करें। अगर निदेशक महोदय द्वारा मेरा उत्पीड़न जारी रहता है तो मुझे भविष्य में होने वाली किसी भी मानसिक या शारीरिक हानि के लिए डॉ. वीएन काला जिम्मेदार होंगे।
महोदय डॉ. वीएन काला पौड़ी के स्थानीय निवासी हैं, ये काफी प्रभावशाली और रसूख वाले व्यक्ति हैं और इनका दबंग प्रवृत्ति वाले स्थानीय लोगो से बहुत अच्छा संपर्क है. इस पत्र के भेजे जाने के बाद इनकी असली प्रवृत्ति समाज के सामने आ जाएगी. इसलिए मुझे यह भी डर है कि अब इनके द्वारा मुझ पर किसी भी प्रकार का हमला करवाया जा सकता है।
इस पत्र के माध्यम से मैं पुनः यह कहना चाहता हूँ कि मुझे भविष्य में होने वाली किसी भी मानसिक या शारीरिक हानि के लिए केवल डॉ. वी. एन. काला ही जिम्मेदार होंगे।
अंत में, मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि इस पत्र में वर्णित समस्याओं पर शीघ्र और उचित कार्यवाही की जाए, ताकि न केवल मेरे व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा हो सके, बल्कि संस्थान की कार्यप्रणाली और शैक्षणिक वातावरण भी बेहतर हो सके। मुझे आशा है कि आप मेरी शिकायत को गंभीरता से लेंगे और इस मामले की शासन स्तरीय जांच कराएंगे।