कठघरिया की पीड़ित महिला के आंसुओं का हिसाब, हल्द्वानी CO रहे भूपेंद्र सिंह और मुखानी थानाध्यक्ष के खिलाफ दर्ज होगा मुकदमा

खबर शेयर करें -

Haldwani News: Case will be filed against Haldwani CO Bhupendra Singh and Mukhani police station incharge: हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। पुलिस की वर्दी पीड़ित को परेशान करने और धौंस दिखाने के लिए नहीं होती बल्कि न्याय दिलाने के लिए होती है। लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारे सामने अधिकतर ऐसे मामले आते हैं जिनमें पीड़ित थाना चौकियों में जाने से डरता है।

वजह थाना चौकी में बैठे पुलिस के वो जिम्मेदार अधिकारी होते हैं जो पीड़ित के दर्द में मरहम लगाने के बजाय उसे मानसिक और आर्थिक तौर पर परेशान करने से बाज नहीं आते। जिसके बाद पीड़ित खाकी की गर्मी और धौंस के आगे घुटने टेक कर हार मान लेता है। जिसमें थोड़ी बहुत हिम्मत बचती है वो कोर्ट की शरण लेता है।

अमूमन देखा गया है कि न्यायालय पुलिस के सताए पीड़ितों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाता है। ऐसा ही एक मामला हल्द्वानी में बीते साल सामने आया था जिसमें कठघरिया क्षेत्र की अनुसूचित जाति की महिला ने अपने साथ हुए जुल्म की शिकायत खुद को मित्र पुलिस के तमगे से शोभायमान करने वाली हल्द्वानी पुलिस से की थी। लेकिन पुलिस के जिम्मेदारों ने पीड़ित महिला को जांच के नाम पर उलझा दिया।

किसी तरह महिला ने हिम्मत की और पूरे मामले और पुलिस अधिकारियों की लापरवाह कार्यशैली की शिकायत कोर्ट से की। नतीजा यह रहा है कि कोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया और दोषी तत्कालीन हल्द्वानी सीओ भूपेंद्र सिंह और मुखानी थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

कठघरिया के पनियाली निवासी प्रमिला देवी ने बताया कि वह अपने दो बेटों के साथ रहती है। आरोपी प्रॉपर्टी डीलर गिरीश चंद्र तिवारी ने उसके बेटे पंकज को एक जमीन में निवेश का झांसा देकर पैसे ऐंठ लिए और ब्लैंक चेक भी ले लिया। ठगी का एहसास होने पर पंकज ने गिरीश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, जो न्यायालय में विचाराधीन है।

आरोप है कि इसी वाद को वापस लेने के लिए गिरीश दबाव बना रहा था। चार जनवरी 2023 को गिरीश तिवारी उस वक्त घर में घुस आया, जब प्रमिला के दोनों बेटे घर पर नहीं थे। आरोप है कि गिरीश ने महिला को बाल से पकड़कर घसीटा, गालियां दीं और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया।

यह मामला लेकर पीड़ित महिला मुखानी पुलिस के पास पहुंचीं, जिसके बाद तत्कालीन क्षेत्राधिकारी भूपेंद्र सिंह ने मामले की जांच की, फिर भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।

एससी- एसटी मामलों से जुड़े कानून पर गौर करें तो कानून यह कहता है कि एससी- एसटी एक्ट के तहत यदि किसी अपराध की सूचना पुलिस को दी जाती है तो उस सूचना के संबंध में पुलिस कोई जांच नहीं करेगी।

बावजूद इसके तत्कालीन सीओ हल्द्वानी भूपेंद्र सिंह ने जांच की। जबकि एससी एसटी एक्ट में पुलिस को बिना मुकदमे को दर्ज किए किसी मामले की जांच का अधिकार ही नहीं है।

इस पर पीड़ित महिला ने न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल की शरण ली। कोर्ट ने गिरीश चंद्र तिवारी पर अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 452, 323, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने यह भी माना कि तत्कालीन मुखानी थानाध्यक्ष और तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया। ऐसे में तत्कालीन इन दोनों के खिलाफ भी एससी- एसटी एक्ट की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।

तीनों आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश के साथ ही न्यायालय ने यह आदेश भी दिया है कि इस मामले की जांच नैनीताल एसएसपी के बजाय दूसरे जिले के एसएसपी से कराई जाए, जिससे जांच प्रभावित न हो और पीड़ित को न्याय मिल सके।

फिलहाल इस मामले में खबर लिखे जाने तक मुखानी थाना पुलिस ने वर्तमान में रुद्रपुर पीएसी में तैनात तत्कालीन सीओ भूपेंद्र सिंह और तत्कालीन मुखानी थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया है। मुकदमा दर्ज होने के बाद यह साफ होगा कि किस जिले के एसएसपी इस पूरे मामले की जांच करेंगे।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर मित्र पुलिस का दम भरने वाली उत्तराखंड पुलिस के भीतर छुपे पीड़ितों को परेशान करने वाले अफसरों की उस कार्यशैली को बेनकाब किया है जिनकी प्राथमिकता में कभी पीड़ितों को न्याय दिलाना नही रहता। यही वजह है कि आज भी आम नागरिक थाना चौकियों में जाने से डरता है।

यह कोई पहला मामला नहीं है जहां हल्द्वानी पुलिस ने किसी पीड़ित को परेशान किया हो। इससे पहले करीब दो साल पहले नौकरी के नाम पर उत्तराखंड में ठगी का गिरोह चलाने वाले रितेश पांडे के मामले में भी हल्द्वानी कोतवाली और मुखानी पुलिस ने पीड़ित को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

करीब एक महीने तक ठग रितेश पांडे के खिलाफ एक एफआईआर कराने के लिए पीड़ित कोतवाली से लेकर मुखानी थाने के चक्कर काटता रहा। मीडिया के दखल के बाद तत्कालीन एसएसपी पंकज भट्ट के आदेश पर मुखानी एसओ दीपक बिष्ट एफआईआर दर्ज की थी।

हद तो तब हुई थी जब मामले में आरोपी ठग रितेश पांडे की सीएम पोर्टल में हुई शिकायत के जवाब में मुखानी पुलिस ने झूठी और गुमराह करने वाली रिपोर्ट लगाई थी। ऐसे में आप समझ हल्द्वानी कोतवाली से लेकर मुखानी थाने की पुलिस ने पीड़ित को न्याय दिलाने में कितनी रुचि दिखाई होगी।

What’s your Reaction?
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0

संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

सम्बंधित खबरें