हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। कुछ दिनों से महिला अस्पताल हल्द्वानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वीडियो बनाने वाले ने अस्पताल को लेकर काफी कुछ कहा है। जबकि हकीकत कुछ और ही है।
हल्द्वानी में महिलाओं के लिए बने कुमाऊं के एकमात्र अस्पताल में रोज सैकड़ों महिलाएं मुख्य रूप से गर्भवती महिलाएं इलाज कराने आती हैं और सभी की इमरजेंसी ही होती है। ऐसे में किसी का पहले और किसी का बाद में नंबर आना स्वाभाविक है।
उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की नगर अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि स्टाफ सीमित है और मरीज बेइंतहा। इन परिस्थितियों में होना तो यह चाहिए था कि समाज के जिम्मेदार लोग महिला अस्पताल हल्द्वानी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों, महिला एवं बाल रोग विशेषज्ञ, सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट, नर्स स्टाफ के अतिरिक्त भर्ती की माँग करते जिससे इलाज में सुविधा मिलती। लेकिन हो इससे ठीक उलट रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल जनता की संपत्ति है, लेकिन इस कारण अस्पताल के प्रति कोई भी कुछ भी बोलने और करने के लिए मुक्त नहीं है। अस्पताल के स्टॉफ के साथ साथ जनता को भी अस्पताल, डॉक्टरों और अन्य स्टॉफ के साथ संवेदनशील व्यवहार करना उचित है। तभी इतनी बड़ी संख्या में आने वाली मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं का इलाज सुचारू रूप से होना संभव है।
साथ ही महिला अस्पताल जैसे सरकारी अस्पतालों जो कि जनता के बड़े हिस्से को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसलिए अपने निजी स्वार्थों और लोकप्रियता पाने के लिए सरकारी अस्पतालों को बदनाम करने की कोशिशों पर रोक लगनी चाहिए। ब्लॉगरों द्वारा इस तरह के वीडियो बनाने से आम जनता का नहीं महंगे इलाज कराने वाले निजी अस्पतालों का ही हित साधन होता है।
यूनियन ने मांग उठाई कि जिस तरह जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है और महिला अस्पताल हल्द्वानी में गरीब से लेकर अमीर सभी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में महिला अस्पताल हल्द्वानी में सभी खाली पदों पर शीघ्रता से नियुक्ति की जाए, डॉक्टरों के पद बढ़ाए जाएं और अस्पताल में अत्याधुनिक मशीनें लगाई जाएं, जिससे महिलाओं को इलाज के लिए इधर उधर भटकना न पड़े।