
भवाली, प्रेस 15 न्यूज। शॉर्टकट में पैसा कमाने की बीमारी पहाड़ के युवाओं को भी लग गई है। जबकि इसी पहाड़ की जवानी की मिसाल दी जाती है।
इस बीच पहाड़ के युवा लगातार नशे के गर्त में धंस रहे हैं। कुछ नशेड़ी बनकर परिवार के दुख का कारण बन रहे हैं। उनके मां- बाप जीते जी खून के आंसू बहाने को मजबूर हैं। वहीं कुछ नशे के कारोबार से जुड़कर रातों रात अमीर बनने की राह पर निकल रहे हैं।
देखें वीडियो: हल्द्वानी में नशा माफिया मां बाप को खून के आंसू रूला रहे हैं🔴🔴👇👇👇🔴🔴🔴
भवाली क्षेत्र के रामगढ़ नथुआखान रोड से लोसज्ञानी गांव निवासी 25 साल के देवेंद्र सिंह बिष्ट पुत्र प्रताप सिंह बिष्ट को 962.17 ग्राम चरस के साथ गिरफ्तार किया है।
आरोपी के विरुद्ध कोतवाली भवाली में FIR 06/25 धारा 8/20 NDPS Act के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया है।
पहाड़ के युवाओं का नशे के गर्त में तेजी से फंसना कहीं न कहीं पहाड़ के भविष्य के लिए चिंता का विषय है। सच यह भी है कि अधिकतर मामलों में बाहरी राज्यों के नशा माफियाओं के फैलाए जाल में पहाड़ के युवा नशा सप्लाई की चेन में जुड़ रहे हैं।
पहाड़ के समाजसेवी कई बार यह सवाल उठा चुके हैं कि आखिर पहाड़ के जिन युवाओं को पुलिस चरस या स्मैक की खेप के साथ पकड़ती है, वो किसके कहने पर और किसे यह नशे की बड़ी खेप ठिकाने लगाने जा रहे थे, पुलिस उसका खुलासा क्यों नहीं करती?
क्या यह संभव है कि नशे की इस बड़ी खेप में सिर्फ और सिर्फ एक व्यक्ति जुड़ा है? जबकि सच यह है कि यह सब राज्य के भीतर और बाहरी राज्यों के नशा माफियाओं का बिछाया हुआ जाल है जिसके प्यादे पहाड़ के युवा हैं।
नशा माफिया हर बार बच निकलते हैं और पहाड़ के युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है।
एक सच यह भी है कि खाकी में छुपे बिके हुए ईमान के वर्दीधारियों की वजह से भी मैदान से लेकर पहाड़ तक नशे का नेटवर्क बन गया है। सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार प्रदेश को नशा मुक्त करने की बात कहते आए हैं। लेकिन जिन पर नशे पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी है वही नशे के नेटवर्क को पनपा रहे हैं।
कुछ वक्त पहले हल्द्वानी पहुंचे तत्कालीन पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने भी स्वीकारा था कि पुलिस की मिलीभगत के बिना नशे का कारोबार नहीं पनप सकता। इतना ही नहीं वर्तमान में नैनीताल के एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा तक कहते दिख चुके हैं कि नशे में अंकुश लगाने में पुलिसवालों की आत्मा मर चुकी है। ये साफ इशारा है कि नैनीताल जिले में नशे की रोकथाम को खाकी पहने जिम्मेदारों का क्या हाल है।
अभी कुछ दिन पहले सोशल मीडिया में हल्द्वानी की कुछ वीडियो वायरल हुए थे जिसमें हल्द्वानी के एक महत्वपूर्ण थाने के थानाध्यक्ष चरस और सट्टे के कारोबार में लिप्त लोगों और सफेदपोश लोगों के साथ मय वर्दी के विराजमान थे। और उनकी महफिल में गर्मागर्म सूप गटकते नजर आ रहे थे।
थानाध्यक्ष की इस महफिल में सत्ताधारी दल से जुड़ा हल्द्वानी का ये सफेदपोश नेता साल चार साल पहले भी केमू स्टेशन के पास स्थित एक होटल में अपने साथियों के साथ अवैध गतिविधि में पकड़ा गया था। होटल के बाहर मुख्य गेट पर मीडिया के कैमरों का जमावड़ा लगा था। लेकिन तब बनभूलपुरा पुलिस ने उसे होटल के पिछले रास्ते से रेलवे पटरी होते इस छुटभय्ये नेता और उसके चमचों को भगा दिया था।
उदाहरण के तौर पर यूं समझिए कि हल्द्वानी में नशा तस्करों के गढ़ के रूप में बनभूलपुरा थाना क्षेत्र विख्यात है। हल्द्वानी में कौन नहीं जानता कि राजपुरा से लेकर बनभूलपुरा और गांधीनगर तक नशे और सट्टे के कारोबार समेत तमाम अवैध गतिविधियां होती हैं। लेकिन हर बार महज गुड वर्क दिखाने तक ही पुलिस और एसओजी सक्रिय दिखती है।
हमारी लिखी इस खबर में अगर जिले के कप्तान प्रह्लाद नारायण मीणा को जरा भी संशय है तो एक बार हल्द्वानी और नैनीताल जिले के उन महत्वपूर्ण थाना चौकियों में तैनात वर्दीधारियों (खासकर वो थाना चौकियां जो नशा तस्करों का गढ़ हैं ) की संपत्ति की जांच करा लिजिए। जो अगर इनके आशियानों की हर दीवार में लगी ईंट पर नशा तस्करों का सौदा छिपा नहीं मिला तो कहिएगा।
ऐसे में नशे के खिलाफ पुलिस का ये अभियान कैसे सफल होगा, और कैसे नैनीताल जिले के युवा इस दलदल से बचेंगे, यह बड़ा सवाल है।
लेकिन हमें यकीन है कि एसएसपी यह सवाल नहीं करेंगे क्योंकि “पुलिस वालों की आत्मा मर चुकी है” यह बात भी उन्होंने यूं ही तो नहीं कही होगी।
