हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। कुछ साल पहले तक सरकारी शिक्षक बनने के लिए बीएड डिग्री पाने की होड़ मची रहती थी लेकिन अब बीएड की डिग्री हाशिए पर चली गई है। अब डीएलएड डिग्री का दौर शुरू हो चुका है।
प्रदेश सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों की सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए भर्ती के लिए बीएड की बाध्यता समाप्त कर दो वर्षीय डीएलएड को मंजूरी दे दी है।
इस फैसले से प्रदेश में राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में 3,600 शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को बेसिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के वर्ष 2018 में जारी उस अधिसूचना को निरस्त कर दिया था, जिसमें प्राथमिक शिक्षकों के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्यता लागू की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के अनुपालन में राज्य कैबिनेट ने हाल ही में राजकीय प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 2012 में संशोधन को अपनी स्वीकृति प्रदान की थी। जिसके क्रम में शासन ने उत्तराखंड राजकीय प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2024 को जारी कर दी है।
राज्य सरकार ने इस संशोधन से बेसिक शिक्षकों के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता बीएड डिग्री को अमान्य कर दिया है। अब राज्य में केवल डीएलएड डिग्रीधारक ही पहली से पांचवीं कक्षा तक के बेसिक शिक्षक के पद के लिए पात्र होंगे।
कहा जा रहा है कि प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया संपन्न होने से प्रदेशभर के प्राथमिक विद्यालयों में रिक्त शिक्षकों के सभी पद भर जाएंगे।