हल्द्वानी में मूसलाधार बारिश के बीच आखिर क्यों कहने लगे लोग “एक ही दिल है लल दा कितनी बार जीतोगे”

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। बरसात का मौसम कुछों के लिए राहत तो बहुतों के लिए आफत बनकर आया है। पहाड़ी रास्ते सड़कें जहां धराशाई हो रही हैं तो जलभराव, भूस्खलन जैसी दिक्कतों का भी लोगों को सामना करना पड़ रहा है। कई घर बारिश की चपेट में आकर तबाह हो रहे हैं।

बात अगर नैनीताल जिले के सरकारी इंतजामों की करें तो फिलहाल बारिश के बीच नदी नालों और टूटी सड़कों को निहारते अधिकारियों की तस्वीरें खूब प्रसारित हो रही हैं लेकिन बारिश से हुए नुकसान की भरपाई कब होगी, कैसे होगी ये बताने वाला गरीब को कोई नहीं है।

इस बीच शुक्रवार को हल्द्वानी के दमुवाढूंगा क्षेत्र में जो घटा उसने जिला प्रशासन के उन दावों की पोलपट्टी खोलकर रख दी जिसमें वो आपदाग्रस्त लोगों को राहत पहुंचाने का दम भर रहे हैं।

दरअसल, बीते रोज यहां बारिश की चपेट में आकर एक गरीब परिवार की झोपड़ी पूरी तरह से तबाह हो गई। लेकिन गरीब परिवार के इस हाल को देखने की फुर्सत कैमरा लेकर मुआयना करने वाले अधिकारियों को नहीं मिली। वो रकसिया, कलसिया के बीच नेताजी के डिजास्टर विजिट में ही रह गए और दमुवाढूंगा का गरीब परिवार बारिश में दर दर भटकता रहा।

लेकिन वो कहते हैं न कि गरीब की आवाज धीमी जरूर होती है लेकिन जहां पहुंचनी चाहिए वहां पहुंच ही जाती है। हुआ भी ठीक ऐसा ही। मूसलाधार बारिश के बीच जहां प्रशासनिक अधिकारी अपने रुटीन विजिट में व्यस्त थे तो वहीं राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी इस गरीब परिवार के लिए उम्मीद की किरण बनकर पहुंच गए।

दरअसल, ललित जोशी को सूचना मिली थी कि दमुवाढूंगा क्षेत्र में एक गरीब परिवार बरसात के बीच मुफलिसी में जी रहा है। जिसके बाद बरसात के बीच ही ललित जोशी तत्काल गरीब परिवार का हाल लेने के लिए रवाना हुए।

ललित जोशी ने बताया कि कुछ राशन, फल, सब्जियां खरीदी और जैसे ही मौके पर पहुंचा तो देखकर आखें भर आईं। यहां करीब 10 साल का एक बालक बिना कपड़ों के प्लास्टिक की चटाई ओढ़े बैठा था। तत्काल उसे कार में बैठाया और कपड़े पहनाए। बच्चा भूखा था तो उसे खाने के लिए कुछ फल दिए। जब बच्चे से पता किया तो उसने बताया कि मां और बहन पड़ोस के मंदिर के आंगन में बैठे हैं।

जिसके बाद वह मां और बहन की कुशलक्षेम पूछने मंदिर गए तो आसपास के लोगों ने बताया कि वह खाने के इंतजाम के लिए आसपास के घरों में गए हैं। वो इतंजार करते रहे और कुछ देर में आखों में दर्द लिए लौटी मां बहन से भेंट भी हो गई। इस दौरान ललित जोशी ने गरीब परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिया।

ललित जोशी ने बताया कि वह यह देखकर हैरान थे कि एक तरफ प्रशासनिक अधिकारी राहत और बचाब कार्यों को ढिंढोरा पीट रहे हैं। बारिश के बीच मीडिया में बयान जारी कर रहे हैं लेकिन जो गरीब असल में परेशान है उसका सुधलेवा कोई नहीं है।

इधर, जैसे ही बेबस गरीब परिवार की मदद के लिए राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी की इस पहल की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंची तो उन्हें इस नेक काम के लिए बधाई देने वालों का तांता लग गया। लोग कहने लगे – एक ही दिल है लल दा कितनी बार जीतोगे।

बताते चलें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब ललित जोशी किसी गरीब की मदद के लिए पहुंचे हों, इससे पहले भी शहर के लोगों ने उनके इंसानियत से भरे संकल्पों को पूरा होते देखा है।

ये बात और है कि ललित जोशी की गरीबों वाली मदद कभी भी जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की तरह मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाई। लेकिन उनकी छोटी बड़ी मदद हर बार गरीबों की हिम्मत और खुशी का जरिया जरूर बनी।

फिर चाहे वो कोरोना काल हो या पिछले दिनों लालकुआं क्षेत्र में दर्जनों गरीब परिवारों की झोपड़ी में लगी आग के बाद की मदद। राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी ने हर बार सार्वजनिक जीवन के अपने फर्ज को बखूबी निभाया।

यही वजह है कि आज भी मूसलाधार बारिश के बीच जब दमुवाढूंगा क्षेत्र में ललित जोशी मुसीबत में घिरे गरीब परिवार की मदद कर रहे थे तो मीडिया के कैमरे दूर दूर तक नहीं थे। इस दौरान जो भी तस्वीरें सामने आईं वो भी सिस्टम को आइना दिखाने भर के लिए थीं।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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