रामनगर के मंदिर में गजब चोरी: संस्कारी चोर ने लिया आशीर्वाद लेकिन कलयुग के “भगवान” ने पकड़ ली चोरी

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रामनगर, प्रेस 15 न्यूज। जिस उत्तराखंड में नेता- नौकरशाह और सरकारी विभागों में कुर्सी तोड़ते अधिकारी – कर्मचारी हर रोज विकास और जनता से जुड़े कामों के बहाने हजारों, लाखों, करोड़ों डकार जाने के बाद एक डकार भी नहीं लेते, उसी उत्तराखंड के रामनगर क्षेत्र में बुधवार को एक चोर ने अपनी संस्कारी चोरी से सबको हैरान कर दिया।

यहां साफ करते चलें कि हम चोर के इस आपराधिक कृत्य को महिमामंडित और सही बिल्कुल नहीं कह रहे हैं लेकिन इस चोर ने देश प्रदेश में विकास की गंगा बहाने वाले उन वीआईपी और वीवीआईपी चोरों के दिए जख्म को ताजा कर दिया जो वो वर्षों से उत्तराखंड की जनता को विकास के नाम पर दे रहे हैं। लेकिन आज दिन तक किसी सीसीटीवी में कैद नहीं हो सके।

बुधवार को एक व्यक्ति ने रामनगर के कोसी बैराज के पास चाय की दुकान के पास बने बालाजी के छोटे से मंदिर से मूर्ति, लोटा, घंटी चुरा लिए लेकिन ऐसा दुस्साहस करने से पहले उसने विधिविधान से मंदिर में प्रवेश किया।

हालाकि यह मंदिर खुले में था लेकिन फिर भी चोर ने बकायदा पहले अपने हाथ पांव धोए और सुरक्षा की दृष्टि से इधर उधर नजर दौड़ाने के बाद भगवान के चरणों में शीश नवाया। उसके बाद चोर ने मन ही मन भगवान से अपने मन की इच्छा कही और मंदिर के अंदर से मूर्ति, लोटा, घंटी एक एक कर अपनी जेब में भर लिए। और रफूचक्कर हो गया।

साफ था कि चोर भगवान के मंदिर में चोरी की मंशा के साथ आया था। लेकिन इसके लिए उसने मंदिर की मर्यादा का पूरा ध्यान रखा। चोर ने सोचा था कि भगवान कहां कुछ कहने वाले हैं उनका तो आशीर्वाद वाला हाथ उसकी तरफ था। लेकिन कलयुग के भगवान यानी सीसीटीवी की नजर से चोर नहीं बच सका। और उसकी सारी करतूत रिकॉर्ड हो गई।

बृहस्पतिवार सुबह जब मंदिर के बगल में स्थित चाय की दुकान के संचालक अशोक कुमार गुप्ता मंदिर में पूजा करने आए तो राम दरबार, लोटा, घंटी गायब दिखी। जिसके बाद उन्होंने सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो संस्कारी भक्त चोर की करतूत सामने आ गई।

अब रामनगर पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर भक्त चोर की तलाश में जुट गई है।

अब यह तो साफ है कि चोर कुछ घंटों बाद पकड़ा जाएगा और चोरी की वजह भी बता देगा लेकिन 24 साल का उत्तराखंड आज भी सफेदपोश और नौकरशाहों के गठजोड़ वाले सिस्टम के कथित विकास वाली चोरी का दंश झेलने को मजबूर है, उसका कब हिसाब होगा?

वैसे भी इस कलयुग में कब क्या देखने सुनने को मिल जाए कुछ कह नहीं सकते। देवभूमि उत्तराखंड में एक दौर ऐसा भी था जब मंदिरों में ताले नहीं लगते थे।

उत्तराखंड के कई गांव पहाड़ में तो आज भी घरों में ताले नहीं लगते। लेकिन सुरक्षा का माहौल और एक दूसरे पर विश्वास कायम रहने वाला वे दौर अब खत्म होने की कगार में पहुंच चुका है।

कहीं न कहीं देवभूमि उत्तराखंड में डेमोग्राफिक बदलाव भी इस असुरक्षा के पीछे की बड़ी वजह है। भू कानून और मूल निवास 1950 जैसी व्यवस्था न होने से उत्तराखंड अपराधियों की ऐशगाह बनता जा रहा है जो कहीं न कहीं हर मूल निवासी उत्तराखंडी और उसकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा खतरा है। ऐसे में जब मिले जहां मिले अपने हक हकूक के लिए आवाज भी उठाइए और जरूरी कदम भी।

आज इस भक्त चोर के दुस्साहस भरे अपराध की भले निंदा हो रही हो, कल को पुलिस भी उसे पकड़कर उसकी पहचान जगजाहिर करने में देर भी नहीं लगाएगी लेकिन इस चोरी ने उत्तराखंड के लोगों को यही सीख दी है कि कभी उस चोरी का भी तो हिसाब मांगिए जो आपको पिछले 24 साल से विकास का सपना दिखाकर की जा रही है।

विकास के नाम पर हल्द्वानी, देहरादून, उधमसिंह नगर, हरिद्वार तक सीमित असल उत्तराखंड आज भी मूलभूत जरूरतों तक के लिए कराह रहा है। और यह चोरी सिवाय भगवान के कलयुग के किसी सीसीटीवी में रिकॉर्ड भी नही हो रही।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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