हल्द्वानी समेत जिलेभर के बेजुबानों खुश हो जाओ… आपके लिए भी आ गया जिला प्रशासन का फरमान

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। कलयुग की पराकाष्ठा ही कहेंगे कि आज का इंसान इस कदर स्वार्थी हो गया है कि बेजुबान जानवरों को मतलब निकलते ही मरने को छोड़ दे रहा है।

जिस गाय ने दूध देना बंद किया या जिस गाय ने बछिया की जगह बछड़े को जन्म दिया मानो उस बूढ़ी गाय और बछड़े के बुरे दिन शुरू हो गए। सोच कर देखिए एक तो मौसम की भीषण गर्मी, ऊपर से सड़क पर डामर की भभक और अगल बगल काल की तरह मंडराते वाहनों की रफ्तार… हल्द्वानी की सड़कों में भटकते इन बेजुबानों पर क्या बीतती होगी?

यह कहानी केवल हल्द्वानी की नहीं है बल्कि उत्तराखंड के हर शहर कस्बे की है जहां बेजुबान जानवरों को मतलब निकलते ही कोई सड़क पर मरने को छोड़ देता है तो कोई जंगल में पेड़ के खूंटे से बांधने में भी पीछे नहीं रहते हैं ताकि वो बेजुबान जीव दोबारा घर न आ जाए… वो बेचारा उसी पेड़ में भूख प्यास के बंधा बंधा कंकाल बन जाता है या फिर जंगली जानवर का शिकार…

इतना ही नहीं कुछ क्रूर मन के कलयुगी तो ऐसे हैं जो इन बेजुबानों को कसाई तक को बेचने में नहीं हिचकते। बेजुबानों की मौत का सौदा कर उस पैसे से अपने लिए खुशी की उम्मीद करने वाले ये नहीं समझते कि ये पैसा खुशी के बजाय उन्हें कई जन्मों का दुख देगा। ये कौन लोग हैं इन्हें अपने आसपास पहचानिए? न सिर्फ पहचानिए बल्कि ये भी बताइए कि आप इंसान हैं तो जानवर के लिए जानवर मत बनिए।

पड़ताल करेंगे तो आप पाएंगे कि बेजुबानों को तिल तिल कर मरने को छोड़ने वाले ये लोग सुबह शाम मंदिरों में देवों की मूर्ति के आगे शंख घंटी बजाते हैं और अपने परिवार और बच्चों के लिए खुशियों की दुवा मांगते हैं।

ऐसा नहीं है कि बेजुबानों के साथ दरिंदगी करने वाले सिर्फ हिंदू धर्म से जुड़े लोग ही हैं। बेजुबान जानवरों के साथ जुल्म ढाने वालों में वो लोग भी शामिल हैं जो अल्लाह की इबादत में सिर झुकाते हैं।

यानी इंसानी धर्म जो कोई भी क्यों न हो लेकिन बेजुबान जानवरों के साथ दरिंदगी में हर कोई शामिल है। कोई ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन घोप कर बेजुबान की आतों को निचोड़कर दूध खींचकर पैसा कमा रहा है तो कोई उसकी जान लेने से भी नहीं हिचक रहा। कुल मिलाकर बेजुबान जानवरों पर जुल्म ढाने का यह क्रूरतम दौर चल रहा है।

इसके इतर, देश भर के साथ साथ उत्तराखंड के हर छोटे बड़े शहर कस्बे में तथाकथित गौ रक्षकों की भी बाढ़ आ गई है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर रील वीडियो अपलोड कर खुद को गाय का परम हितैषी जताने वालों से आज इन बेजुबानों को ज्यादा खतरा है। जो लोग असल में बेजुबान जानवरों के लिए कुछ करना भी चाहते हैं या कर भी रहे हैं तो वो सच्चे गौ भक्त और पशु प्रेमी भी तथाकथित पशुप्रेमियों के चलते हाशिए पर चले जाते हैं।

अगर कोई ये सोच रहा है कि इतने सब सितम के बाद देश की सरकार बेजुबान जानवरों की रक्षा के लिए कोई क्रांतिकारी कदम उठाएगी तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है।

जिस देश में बेजुबानों के लिए निर्दयता और हैवानियत की हदें पार कर स्लाटर हाउस संचालित होते हों, उस देश की सरकारों और तंत्र से बेजुबानों के लिए उम्मीद करना भी बेईमानी है। यही वजह है कि आज बेजुबान जानवर हल्द्वानी ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के कोने कोने में मौत सी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

मरता क्या न करता , बेजुबान जब किसी किसान के खेत में अपनी भूख मिटाने पहुंचते हैं तो एक बार फिर लठिया दिए जाते हैं। हालाकि किसान की सालभर की मेहनत का यूं बर्बाद होना भी ठीक नहीं है। कई बार सड़क पर चलते इन बेजुबानों का शिकार इंसान भी बन जाता है। इंसानी जिंदगी छीनने का वो कलंक भी इन बेजुबानों के सिर आता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर बेजुबानों को दर दर भटकने पर मजबूर करने वाले लोग क्यों पाक साफ बच जाते हैं?

सरकारी गौशाला के नाम पर सालों से दो पैरों वाले  जानवरों का भूसा चारा खाने वाला खेल भी किसी से छुपा नहीं है।

आज के वक्त में कई लोगों को यह कहते भी सुना जाता है कि यह तो बीजेपी की सरकार है जो तुम्हें गौवंश सड़कों में घूमते दिख जा रहे हैं, जो अगर कांग्रेस की सरकार होती तो सड़क पर कोई जानवर घूमता नजर भी नहीं आता।

अगर वाकई में भाजपा की सरकार इन बेजुबानों की हितैषी है तो क्यों 12 महीने ये जानवर सड़कों पर तिल तिल कर मरने को मजबूर हैं? क्यों नहीं इन जानवरों के लिए उत्तराखंड के हर जिले में गौशालाएं बना दी जाती? केवल और केवल मीडिया की खबरों में वाहवाही बटोरने से अच्छा होता कि शासन प्रशासन बेजुबानों के लिए असल में कुछ करता भी।

सड़क पर तिल तिल कर मरने के लिए छोड़ने और एक बार में शैतानी और निर्दयी हाथों से मरने में ज्यादा फर्क नहीं होता है। बल्कि वो एक बार की मौत हर रोज जाड़ा, गर्मी, बरसात में भूखे पेट भटकने से ज्यादा भली है। सोच कर देखिए ना पानी ना खाना, कैसे बेजुबान कदम कदम भटकते होंगें?

वो तो भला हो, हल्द्वानी शहर के चंद सच्चे पशु प्रेमियों का जो इन बेजुबानों की हर संभव मदद करते हैं। कोई पानी पिला देता है तो कोई चारा खिलाकर अपना इंसानी फर्ज निभा देता है। बेजुबानों के लिए दिल में दर्द समेटे ऐसे लोग चाहकर भी इन भटकते इन जानवरों को आसरा नहीं दे पाते। और सरकारी सिस्टम की कारगुजारियों को तो आप अच्छे से जानते ही हैं।

खैर, इन सब बातों से इतर अब सरकारी खबर भी पढ़ ही लीजिए। दरअसल, आज नैनीताल जिलाधिकारी वंदना ने कैम्प कार्यालय में जनपद स्तरीय गौशाला समिति की बैठक ली। सूचना विभाग के माध्यम से बैठक में क्या कुछ कहा गया वो संदेश प्रेस नोट के माध्यम से जिले के पत्रकारों तक भी पहुंचा।

बैठक में जिलाधिकारी वंदना ने मौजूद अधिकारियों से कहा कि नगर निगम के साथ ही विकासखंडों में पशु छोडने वाले स्वामियों खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाए।

इसके लिए नगर निगम, पुलिस और एसडीएम टीमों का गठन कर पशु छोडने वालों का चिन्हिकरण करें जो पशु स्वामी ऐसे कृत्य करते पाये जाते हैं, उनके खिलाफ पशु क्रूरता के प्रावधानों, रोड सेफ्टी, पब्लिक न्यूसेंस  के तहत दंडात्मक कार्यवाही हेतु  प्राथमिकी दर्ज की जाए।

डीएम ने कहा कि नगर निगम के अधिकारियों के साथ ही जनपद के सभी उपजिलाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में यह अभियान चलाना सुनिश्चित करें।

जिलाधिकारी वंदना ने कहा कि अस्थाई गौशाला संचालन हेतु संस्था एवं गौशाला चलाने वालों लोगों को एक माह के ट्रायल  के तौर पर रखा जाए। सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा गौशाला के  संचालन का नियमित मॉनिटरिंग की जाए। जिस संस्था द्वारा गौशाला में रखे गये पशुओं का रखरखाव सर्वोच्च पाया जाता है उन्हें प्राथमिकता दी जाए।

डीएम ने कहा कि गंगापुर कबडवाल में गौशाला हेतु धनराशि स्वीकृत हो चुकी है। जुलाई तक गौशाला का संचालन प्रारम्भ करने के निर्देश दिये।

उन्होंने कहा कि जनपद में जिन गौशालाओं के लिए धन आवंटित हो चुका है, कार्यदायी संस्था कार्य प्रारम्भ करना सुनिश्चित करें।

बैठक में मौजूद अधिकारियों से डीएम ने कहा कि गौशालाओं की नियमित मानिटरिंग की जाए जिन गौशालाओं मे अनियमितता पाई जाती है उनके खिलाफ कार्यवाही करना सुनिश्चित करें।

बैठक में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. डीसी जोशी, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी  डॉ. पीएस हृयांकी, उपजिलाधिकारी प्रमोद कुुमार, रेखा कोहली, विपिन पंत, राहुल साह, केएन गोस्वामी, प्रमोद कुमार, डीडीओ गोपाल गिरी, परियोजना निदेशक हिमांशु जोशी, डॉ. आरके टंडन मौजूद थे… इसी के साथ सरकारी खबर समाप्त होती है।

लेकिन इस खबर को पूरी तल्लीनता से पढ़ रहे एक आम नागरिक और पशु प्रेमी की जिम्मेदारी अब शुरू होती है। अगर आप भी जिलाधिकारी वंदना की इस बैठक में कही बातों और आदेश की अपनी कॉलोनी, पड़ोस या शहर की किसी भी सड़क पर पालन होता नहीं देखते हैं तो एक जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी निभाने को आगे आइए।

क्योंकि जब तक आप एक नागरिक के तौर पर प्रशासनिक अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों से अवगत नहीं कराएंगे तो यूं हीं साल दर साल अपने हक हकूकों के नाम पर भी गुमराह होते रहेंगे। आज बात बेजुबानों के हक की है। हर साल बंद एसी कमरों में बैठकें होती रहेंगी और बेजुबान यूं ही तिल तिल कर मरते रहेंगे।

ठीक उसी तरह जिस तरह आज हल्द्वानी की सड़कों पर मौत सी जिंदगी जीते ये मासूम जानवर हैं। यकीन मानिए अगर ये जानवर बेजुबान न होकर जुबान वाले होते तो अब तक अपना असल हक किसी न किसी तरह से पा भी लिए होते। आप तो फिर भी जुबान वाले हैं…

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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