

नैनीताल, प्रेस 15 न्यूज। नैनीताल शहर की लाइफलाइन कही जाने वाली नैनीझील विश्व में अपनी अलग पहचान रखती है। यहां, झील के चारों तरफ से पहाड़ है, जहां एक बड़ी बसासत रहती है।
भवनों का निर्माण कर कुछ लोग मिट्टी और मलुवे को नियम विरुद्ध सड़क में रख देते हैं। ये मलुवा बहकर पहले नालों में और फिर उसके माध्यम से झील में पहुंचता है।
विश्वविख्यात नयनाभिराम नैनीझील से मलुवा (सिल्ट) निकालने का काम चल रहा है। इसे पहले पोकलैंड और जेसीबी मशीन के अलावा हाथों से मैनुअली साफ करते थे, लेकिन अब इसे नई कन्वेयर मशीन के माध्यम से साफ किया जा रहा है।
बता दें कि नैनीताल के 18 सितंबर 1880 के विक्टोरिया होटल भूस्खलन के बाद अंग्रेजों ने उसके कारणों को जानने के लिए एक सर्वे करवाया था।
सर्वे में पता चला कि अत्यधिक जल भराव के कारण भूस्खलन हुआ था। अंग्रेजों ने पानी की निकासी के लिए शहर के चारों तरफ 62 नाले और 10 उप नाले बनाए। ये नाले शहर की चोटी से पानी लेकर सीधे झील में पहुंचते हैं। इन नालों से मलुवा भी झील में पहुंचता है, जो मुहाने में दिखाई देता है।
लगभग आठ वर्ष बाद, लोक निर्माण विभाग झील से एक बार फिर से मलुवा निकालने का काम कर रहा है। विभाग ने रुदुपुर की एजेंसी से अनुबंध कर चार में से पहली मशीन लगा दी है। आज मशीन ने काम करना शुरू कर दिया। मशीन, मां नयना देवी मंदिर के समीप ठंडी सड़क में लगी है।
बताया जा रहा है कि मशीन को ऑपरेट करने और मलुवे को निस्तारित करने के लिए 20 से 25 मजदूर लगाए जाएंगे। इस मशीन के माध्यम से नैनीझील के मलुवे को 8 से 10 दिनों में निकाल लिया जाएगा।
(नैनीताल से वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट)



