उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में 3 दिवसीय “स्वर्णिम सफलता के 20 वर्ष” उत्सव का आगाज

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना के 20 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम “स्वर्णिम सफलता के 20 वर्ष: उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय स्वतंत्रता एवं प्रगति पर त्रिदिवसीय उत्सव” के रूप में आयोजित किया जा रहा है।

कार्यक्रम के पहले दिन के प्रथम सत्र में स्वागत स्वरुप अपनी बात रखते हुए प्रो. गिरिजा पाण्डे ने कहा कि, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने जब शोध निदेशालय को बनाया, तब हमने अपेक्षा की कि, हम ऐसे विश्वविद्यालय के रूप में उभरें जो हमारे राज्य- राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करे और नवीन ज्ञान को तलाशे।

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इस दौरान चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. जमाल सिद्दीकी मुख्य वक्ता रहे। साथ ही मुख्य अतिथि के रूप में कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के कुलपति प्रो। दीवान सिंह रावत रहे और इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी द्वारा की गई।

अपने वक्तव्य में डॉ. जमाल सिद्दीकी ने कहा की शोध के दौरान समस्या को समझना बहुत जरूरी है, जबकि होता यह है कि, हम अपना 3 वर्षीय शोध कार्य पूरा कर लेते हैं और फिर भी हमें समस्या का भान नहीं रहता। और इसके अलावा उन्होंने कहा कि, सिर्फ गूगल सर्च भर करके शोध पत्र तैयार नहीं किया जा सकता, क्योंकि गूगल पर कई बार जानकारी ठीक हो यह जरूरी नहीं होता इसलिए पुस्तकों का सहारा लेना अधिक आवश्यक और विश्वसनीय है।

इसके साथ ही शोधार्थियों की सहायता हेतु डॉ. सिद्दीकी ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की इलाइब्रेरी को किस तरह से एक्सेस कर सकते हैं यह करके दिखाया।

इसके अलावा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. दीवान सिंह रावत ने कहा कि हमें अपनी जड़ों की जानकारी होना बहुत जरूरी है, बिना जड़ों से जुड़े हमारा शोध कार्य अधूरा होगा।

और साथ ही चाणक्य का उद्धरण देकर उन्होंने कहा कि, विकसित राष्ट्र के लिए 6 चीजों का होना जरूरी है जिनमें मजबूत नेतृत्व, कुशल कूटनीति, सुदृढ़ सेना, मजबूत अर्थव्यवस्था, सही शिक्षा और एक मजबूत ढांचा होना बहुत जरूरी है, इसके बिना कोई भी राष्ट्र तरक्की नहीं कर सकता और हमारे देश के पास यह सभी चीज हैं।

अपने अध्यक्षयीय उद्बोधन में प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने कहा की नित नए ज्ञान प्राप्ति के लिए हमें बिल्कुल खाली घड़े की तरह होना चाहिए, जिससे हमें नित नवीन बातें सीखने को मिले।

साथ ही शोधार्थी के रूप में समर्पण भी जरूरी है जब समर्पण होगा तभी नवीन ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। और हमें चैन से रहने के लिए लगातार मेहनत करते रहना जरूरी है। और इसके अलावा दूसरों में कमियां ढूंढने से पहले हमें अपनी कमियों पर ध्यान देना जरूरी है, अन्यथा ऐसे में शोधार्थी द्वारा किया गया न्याय एकतरफा होगा। शोधार्थी का काम पूरी तरह से निरपेक्ष और निष्पक्ष होना चाहिए।

एक शोधार्थी को अच्छा वक्ता होने से पहले अच्छा श्रोता होना चाहिए, और खास तौर पर हमें अपने विरोधी या विपक्षी की बातों को भी महत्व देना चाहिए क्योंकि, वह हमें आने वाले भविष्य में अपने आप को और बेहतर बनाने में मदद करता है। और इसके अलावा कहीं से कॉपी पेस्ट किया हुआ या फिर कुछ किताबों या कुछ पन्नों को इकट्ठा भर कर लेना शोध नहीं हो सकता, आपके अपने नए अनुभव या खोज क्या हैं! वह शोध होता है। इस सत्र के समापन में डॉ. मनमोहन जोशी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के शोधार्थियों द्वारा अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये गए। इस कार्यक्रम में बी बी सी रेडियो (हिंदी) के पूर्व एडिटर प्रो. राजेश जोशी, एम. बी. पी जी कॉलेज में प्राणि विज्ञान के प्रोफ़ेसर डॉ. चंद्र सिंह नेगी विषय विशेषज्ञ के रूप में शामिल हुए।

धन्यवाद ज्ञापन प्रो. गिरिजा पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. खेमराज भट्ट, परीक्षा नियंत्रक डॉ. सोमेश कुमार, वित्त नियंत्रक एस पी सिंह विविध विद्याशाखाओं के निदेशकगण, विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी, विश्वविद्यालय के शोधार्थी उपस्थित रहे।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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